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सीरिया में चौथी बार राष्ट्रपति बने बशर अल असद, मिले 95% वोट

सीरिया (Syria) के राष्ट्रपति बशर अल असद (Bashar al-Assad) एक बार फिर बड़े मार्जन से जीत हासिल करते हुए देश के राष्ट्रपति (President) चुने गए हैं. असद ने 95.1 फीसदी वोटों के साथ चौथी बार युद्धग्रस्त मुल्क में राष्ट्रपति पद हासिल किया. बशर अल असद अगले सात साल के लिए एक बार फिर देश की बागडोर को अपने हाथों में लेंगे. इस चुनाव को उनके विरोधियों और पश्चिमी मुल्कों ने फर्जी और दिखावा करार दिया था. बता दें कि बीते 21 साल से सीरिया की सत्ता पर काबिज असद का ये चुनाव जीतना लगभग पक्का माना जा रहा है.


अधिकारियों ने बताया कि इस चुनाव में 1.8 करोड़ लोग वोट डालने के लिए योग्य थे. हालांकि, 10 साल से युद्ध की मार झेल रहे सीरिया के जिन इलाकों पर विद्रोहियों या कुर्द नेतृत्व वाले सैनिकों (Kurdish-led troops) का कब्जा है, वहां के लोगों ने मतदान नहीं किया. ये इलाके देश के उत्तरपश्चिम और उत्तरपूर्व में फैले हुए हैं, जहां करीब 80 लाख लोग रहते हैं. इनमें से भी अधिकतर लोग विस्थापित हैं. दूसरी ओर पड़ोसी मुल्कों में रहने वाले करीब 50 लाख शरणार्थियों ने बड़े स्तर पर वोट डालने से परहेज किया.

चुनाव की वैधता पर अमेरिका-यूरोप ने उठाए सवाल

अमेरिका और यूरोपीय अधिकारियों ने इस चुनाव की वैधता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि ये संघर्ष को हल किए बिना कराए गए, इसलिए ये संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन हैं. इसके अलावा, इस चुनाव की अंतरराष्ट्रीय निगरानी भी नहीं की गई और ये सभी सीरियाई लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. सीरियाई संसद के स्पीकर हम्मूद सब्बाघ (Hammoud Sabbagh) ने बुधवार को हुए वोटिंग के नतीजों का अंतिम ऐलान किया. उन्होंने कहा कि असद को 95.1 फीसदी वोट मिले हैं.

जीत के बाद सीरियाई झंडे लहराते लोग (AFP)

हम्मूद सब्बाघ ने कहा कि बुधवार को 17 घंटे तक चले चुनाव में बिना किसी स्वतंत्र मॉनिटर के 78.6 प्रतिशत मतदान हुआ. असद को दो उम्मीदवारों से प्रतीकात्मक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा, जिसमें एक पूर्व मंत्री और एक पूर्व विपक्षी व्यक्ति थे. असद को चुनाव में ऐसे समय में जीत मिली है, जब देश में संघर्ष जारी है. भले ही संघर्ष का दायरा छोटा हो गया है, लेकिन युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है. दूसरी ओर, आर्थिक बदहाली हर दिन बढ़ती जा रही है. सीरिया की 80 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. वहीं, देश की मुद्रा में लगातार गिरावट हो रही है.

जीत का ऐलान होते ही दमिश्क में मनाया गया जश्न

बशर अल असद, उनके करीबी सहयोगियों और सरकारी अधिकारियों को पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. यूरोपीय और अमेरिकी सरकारों ने युद्ध में हुए अत्याचारों के लिए असद और उनके सहयोगियों को दोषी ठहराया है. वहीं, असद की जीत का ऐलान होते ही राजधानी दमिश्क में जश्न का माहौल छा गया. आसमान में आतिशबाजी और हवाई फायरिंग की गई. हजारों लोग दमिश्क और तटीय शहर टार्टस में प्रमुख चौकों पर इकट्ठा हुए और असद के झंडे एवं तस्वीरें लहराते हुए नाच रहे थे.