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सात मंत्रियों से शुरू हो गयी मिशन यूपी 2022 की रणनीति, सोशल इंजीनियरिंग से है सत्ता पर नजर

केन्द्र की मोदी सरकार ने बुधवार को अपने दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट का पहला बड़ा फेरबदल किया है। कैबिनेट विस्तार से जहां अनुभवी और नये लोगों को मौका दिया गया है, वहीं भावी चुनावों को देखते हुए राजनीतिक समीकरण भी साधने की कोशिश हुई है। एक तरीके 12 मंत्रियों के इस्तीफे के बाद कैबिनेट का चेहरा ही बदल गया है। कुल 43 मंत्रियों ने राष्ट्रपति के सामने पद और गोपनीयता की शपथ ली है। शपथ लेने वालों में 36 नये चेहरे है। हांलाकि इस बीच मोदी सरकार का चुनावी राज्यों पर विशेष ध्यान रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में यूपी से शामिल हुए 7 मंत्रियों पर नजर डाले तो साफ है कि भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने मिशन उत्तर प्रदेश 2022 की रणनीति बना दी है। केन्द्र के कैबिनेट विस्तार के बाद जातीय समीकरणों को लेकर बड़ा दांव चला गया है। मोदी मंत्रिमंडल में पार्टी ने 3 ओबीसी, 3 अनुसुचित जाति और एक ब्राहण सांसद को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। आगामी चुनाव में भी पार्टी की रणनीति जातियों के साथ क्षेत्रीय संतुलन के साथ बहुमत हासिल करने की होगी।

कैबिनेट में सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले की झलक
केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रियों की जाति से लेकर क्षेत्र तक का विषेश ध्यान रखा गया है। जाति के साथ-साथ क्षेत्रीय पैमाने पर मंत्रियों को 2022 के चुनावी बिसात पर जीत हासिल की जा सके। मोदी मंत्रिमंडल में यूपी से शामिल किये गये चेहरों से सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले की झलक देखी जा सकती है।

मंत्रियों का यह है जातिगत समीकरण
अनुप्रिया पटेल मिजापुर से सांसद है (जाति से कुर्मी और क्षेत्र पुर्वांचल)
पंजक चैधरी महाराजगंज से सांसद है (जाति से कुर्मी और क्षेत्र पुर्वांचल)
बीएल वर्मा बंदायु से राज्य सभा है (जाति से लोध और क्षेत्र है रूहेलखण्ड)
भानु प्रताप सिंह वर्मा जालौन से सासंद है (जाति से दलित और क्षेत्र है बुंदेलखण्ड)
कौशल किशोर मोहनलाल गंज से सांसद है (जाति से दलित पासी और क्षेत्र है मध्य यूपी)
अजय कुमार टेनी लखीमपुर से सांसद है (जाति से ब्राहण और क्षेत्र है मध्य यूपी)
एसपी सिंह बघेल आगरा से सांसद है (जाति से एससी और क्षेत्र है पश्चिम यूपी)