सर्दियों (winter) का मौसम आते ही कुछ लोगों की मुश्किलें खड़ी हो जाती है. एकदम से ठंड बढ़ने का असर हमारे दिमाग और शरीर दोनों पर दिखाई देने लगता है. अस्थमा, आर्थराइटिस (हड्डियों से जुड़ी बीमारी), हाई ब्लड शुगर (high blood sugar) और होंठ फटने या रूखी त्वचा से परेशान लोगों के लिए यह मौसम किसी मुसीबत से कम नहीं होता है. आइए आज आपको 10 ऐसी समस्याओं के बारे में बताते हैं जो सर्दी के मौसम में ज्यादा देखने को मिलती हैं.
हाई ब्लड शुगर-
सर्दी के मौसम(winter season) में हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए. एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डेनिस गेज कहते हैं कि ज्यादा ठंडा या गर्म तापमान होने पर शरीर से कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होने लगते हैं. ये इंसुलिन प्रतिरोध में योगदान दे सकता है. डायबिटीज के रोगियों को इस मौसम में कम से कम एक बार खून में शुगर लेवल की जांच जरूर करनी चाहिए.
माइग्नेन-
विटामिन-डी (vitamin D) की वजह से माइग्रेन की समस्या बढ़ सकती है. डॉ. रॉबर्ट सेगल कहते हैं कि सर्दियों में शुष्क मौसम बॉडी में डीहाइड्रेशन को ट्रिगर कर सकता है. डीहाइड्रेशव से माइग्रेन का जोखिम भी काफी बढ़ जाता है.
सख्त मांसपेशियां-
गर्मी के मौसम में हमारा शरीर काफी गर्म रहता है, जबकि सर्दियों में ये काफी ठंडा और सख्त हो जाता है. इस मौसम में हमारा ब्लड फ्लो और सर्कुलेशन भी काफी कम हो जाता है. सर्दियों में इसे दुरुस्त रखने के लिए हमें शरीर को ज्यादा एक्टिव रखने की जरूरत होती है.
आर्थराइटिस-
सर्दियों में अक्सर लोगों को हड्डियों और जोड़ों में दर्द (Joint pain) की समस्या सताने लगती है. आर्थराइटिस के मरीजों में ये दिक्कत ज्यादा देखी जाती है. आप यकीन करें या न करें, लेकिन ये परेशानी ठंड की वजह से नहीं बैरोमेट्रिक प्रेशर की वजह से बढ़ती है. कोशिकाओं में एटमॉफेरिक प्रेशर में बदलाव के चलते आर्थराइटिस के मरीजों को दिक्कत ज्यादा होती है.
अस्थमा-
सर्दी के मौसम में कोल्ड और फ्लू जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है. इस मौसम में अस्थमा यानी सांस में तकलीफ काफी जाती है. एलेर्जी एंड अस्थमा(asthma) नेटवर्क की एमडी पूर्वी पारिख कहती हैं कि घर में धूल के कण, जानवरों की रूसी और फंगस जैसी इंडोर एलेर्जी भी अस्थमा की दिक्कत को ट्रिगर करती हैं.
स्नो ब्लाइंडनेस-
सूर्य की पैराबैंगनी किरणें सर्दी और गर्मी दोनों ही मौसम में इंसान के लिए खतरनाक हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं बर्फ से परावर्तित होने वाली सूरज की किरणें हमारी आंखों पर बहुत बुरा असर डालती हैं. इससे कैंसर और स्नो ब्लाइंडनेस का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसलिए एक्सपर्ट ड्राइविंग के दौरान यूवी ब्लॉकिंग सनग्लास पहनने की भी सलाह देते हैं.
दांतों में दर्द-
अगर आपके दांत सेंसटिव हैं तो कोल्ड ड्रिंक या ठंडी चीजों से आपको दांतों में दर्द महसूस होता होगा. ठंडी हवाएं भी ओरल सेंसटिविटी को ट्रिगर करती हैं. खासतौर से अगर आपको दांतों में हेयरलाइन फ्रैक्चर, क्राउन, ब्रिज या मसूड़ों से जुड़ी पीरियडॉन्टल डिसीज हो. ऐसी दिक्कत होने पर आपको डेंटल एक्सपर्ट से राय लेनी चाहिए.
होंठ और जुबान-
ठंडी हवा और शुष्क मौसम के चलते हमारे होंठे सूखने लगते हैं. ऐसा होने पर हम बार-बार अपनी जुबान होठों पर फेरने लगते हैं. इसकी लार होठों को कुछ देर राहत तो देती है, लेकिन इसमें मौजूद एंजाइम होंठ या त्वचा के लिए अच्छे नहीं हैं. ये न सिर्फ आपकी होंठ और त्वचा पर बुरा असर डालते हैं, बल्कि आपको बीमार भी कर सकते हैं.
बैली फैट-
बॉडी में मौजूद व्हाइट फैट को सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं शरीर में एक ब्राउन फैट भी होता है. ये फैट सर्दियों में आपकी कैलोरी को बर्न करके शरीर को गर्म रखने का काम करता है. मैनहेटम कार्डियोलॉजी के फाउंडर रॉबर्ट सेगल कहते हैं कि सर्दियों में एक्सरसाइज करके ब्राउन फैट बढ़ाया जा सकता है.
ड्राय स्किन-
सर्दी के मौसम में लोगों को ड्राय स्किन और होंठ फटने की समस्या होने लगती है. दरअसल ये शरीर में पानी की कमी के कारण होता है. गर्मियों में प्यास ज्यादा लगने की वजह से हम पानी पीते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं, सर्दियों में भी हमारे शरीर को पानी की उतनी ही जरूरत होती है. पानी की कमी से बॉडी डीहाइड्रेट होने लगती है, जिसका स्किन और हेल्थ पर बुरा असर डालता है.