देश की जनता को बेहतर और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ जेनेरिक दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। इस बीच सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार 15 अगस्त को गंभीर बीमारियों के इलाज में दी जाने वाली दवाओं के दाम कम कर सकती है। इन दवाओं में कैंसर, डायबिटीज, दिल की बीमारी समेत अन्य गंभीर बीमारियों की दवाएं शामिल हैं। सरकार के इस निर्णय से इलाज करा रहे लोगों को काफी राहत मिलेगी।
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की ओर से कुछ प्रस्ताव तैयार किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक इस योजना को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार अफसरों का कहना है कि सरकार दवाओं के अधिक दाम को लेकर चिंतित है। वह इसे कम करना चाहती है।
सूत्रों का कहना है कि अगर सरकार की ओर से तैयार किए गए प्रस्तावों पर अंतिम मुहर लगने पर ये मंजूर हो जाते हैं तो गंभीर बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली अधिकांश दवाओं के दाम 70 फीसदी तक कम हो सकते हैं। इसके साथ ही सरकार नेशनल लिस्ट ऑफ इजेंशियल मेडिसिन (NLEM), 2015 को भी अपडेट करना चाहती है, ताकि मौजूदा समय में इस्तेमाल की जा रही दवाओं को भी इसमें शामिल किया जा सके।
सरकार की ओर से लंबे समय तक मरीजों की ओर से ली जाने वाली दवाओं के हाई ट्रेड मार्जिन को भी कम करने पर विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने 22 जुलाई को विभिन्न फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। इस दौरान उन लोगों से अंतिम प्रस्ताव पर चर्चा की गई थी। बताया गया है कि कुछ दवाओं में तो ट्रेड मार्जिन 1000 फीसदी से भी अधिक होता है। मौजूदा समय में दवाओं की कीमत की नियामक एनपीएए ने एनएलईएम में शामिल 355 दवाओं के दामों में कटौती की है।
हालांकि फार्मा कंपनियां उरन दवाओं के दाम बढ़ाने के लिए स्वतंत्र होती हैं, जो सरकार के डायरेटक्ट प्राइज कंट्रोल से बाहर होती हैं। कंपनियां इन दवाओं के दामों में सालाना 10 फीसदी तक बढ़ोतरी कर सकती हैं।