भारत में अक्सर आपने काला पानी और काल कोठरी जैसी सजा के बारे में सुना होगा जिसमें किसी व्यक्ति को ऐसी जगह पर मरने के लिए छोड़ दिया जाता थाजहां पर उसे बाहरी दुनिया के बारे में कुछ पता ही नहीं चल पाता था. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में ऐसी सजाएं लोगों को दी जाती थी जिनका नाम सुनते ही आप सिहर जाएंगे. आज जानिए दुनिया की कुछ ऐसी ही सजाओं के बारे में जो किसी दोषी को इतिहास में दी जाती थीं.
पहाड़ से धक्का देना
ईरान में आज भी इसी तरह से मौत की सजा दी जाती है. यहां पर किसी भी दोषी व्यक्ति को ऊंची पहाड़ी से ले जाकर धक्का दे दिया जाता है. हालांकि कई बार मानवाधिकार संगठनों ने इस सजा को बैन करने की मांग की है लेकिन ईरान ने हर बार ही इन मांगों को अनसुना कर दिया है.
हाथी से कुचलवा देना
सुनकर ही आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे लेकिन इस तरह की सजाएं दुनिया में दी जाती थीं. दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में इस तरह की सजा देने का चलन था. यह बात जानकर आप चौंक जाएंगे कि इस सजा के लिए हाथियों को खास तरह से ट्रेनिंग दी जाती थी.
अंगों के टुकड़े करना
लिंग शी इस तरह की सजा देने का प्रावधान चीन में था. इस सजा को स्लो स्लाइसिंग कहते थे जिसमें व्यक्ति के अंगों के टुकड़े धीरे-धीरे किए जाते थे. सजा के दौरान दोषी को एक खंबे से बांध दिया जाता था और फिर धीरे-धीरे उसके अंग काटे जाते थे. आखिरी में दिल काटा जाता था. कई हजार साल तक इस तरह की सजा चीन में दी जाती थी और सन् 1905 में इस पर बैन लगा दिया गया.
ब्लड ईगल
इस सजा में दोषी की पीठ पर इतने कोड़े मारे जाते थे कि खाल हट जाती और उसकी पसलियां दिखने लगती थीं. ये पसलियां पूरी तरह से टूट चुकी होती थीं और चोट पर और दर्द देने के लिए घावों पर नमक छिड़का जाता था. आखिरी में फेफड़ों को निकाल लिया जाता और इन्हें पंख जैसी नजर आने वाली पसलियों पर लपेट दिया जाता.
हथौड़े से वार करना
इसमें किसी व्यक्ति को सीधे मुंह लिटाकर बड़े से पहिए पर बांध दिया जाता है फिर उसके अंगों पर बड़े से हथौड़े से वार किया जाता है. इस तरीके को तब तक जारी रखा जाता है जब तक उस व्यक्ति के सभी अंग टूट नहीं जाते और उसकी मौत नहीं हो जाती.
जहाज से बांध देना
इस सजा को कीलहॉलिंग कहा जाता था और यह खासतौर पर नाविकों को दी जाती थी. डच नेवी में 16वीं सदी के अंत तक यह सजा देने का नियम था. इस सजा में दोषी सेलर्स या नाविकों को एक जहाज से दूसरे जहाज तक रस्सी से बांध दिया जाता था. इसके बाद उन्हें समुद्र के अंदर घसीटा जाता था.
नाविकों की अक्सर मौत हो जाती थी. जिन नाविकों को ये सजा दी जाती थी उनका शरीर समुंद्र के अंदर जहाज के तली में लगी कील से कट जाता था. अगर भाग्यवश वो बच जाते तो उन्हें इन्हीं घावों के साथ रहना पड़ता था.
गर्म तेल में उबालना
16वीं शताब्दी तक एशिया और यूरोप के कुछ भागों में कैदियों को मौत की सजा देने के लिए यही तरीका अपनाया जाता था. इसमें व्यक्ति को तब तक गर्म पानी या तेल में उबाला जाता है जब तक उसकी मौत न हो जाए.
चूहों से कटवाना
इस तरह की सजा में भूखे चूहों को बाल्टी में भरा जाता था.इसके बाद इस बाल्टी को उसके पेट या फिर छाती पर रख दिया जाता था. इसके बाद बाल्टी को बाहर से गर्म किया जाता था. चूहों को गुस्सा आता और फिर वह व्यक्ति का मांस खाने लगते थे.
गला घोंटकर मारना
यह एक तरह की श्वासावरोध उत्पन्न करने की क्रिया है. इसमें व्यक्ति को एक बड़े खूंटे के पास बिठाकर रस्सी से उसके गले को बांध दिया जाता है. रस्सी को इस कदर दबाकर बांधा जाता है कि व्यक्ति का दम घुटने लगता है और उसके मौत हो जाती.
लटकाकर मारना
इसमें कैदियों को एक साथ बांधकर फांसी पर लटकाया जाता है फिर उनके अंगों के छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं. इसमें दूसरा तरीका यह है कि कैदियों को लकड़ी के तख्ते पर बांधा जाता है और घोड़ों के जरिए तबतक घसीटा जाता है जबतक उनकी मौत न हो जाए.
पिंजरे में मौत
इसमें कैदी को एक ऐसे वर्टिकल पींजरे में कैद किया जाता है जिसमें चारों तरफ से उसे धारधार हथियारों से चुभोया जा सके. इस पिंजरे में कैदी बचने की कोशिश तो करता है लेकिन खुद को बचा नहीं पाता.