उत्तराखंड पुलिस के शक्तिमान घोड़े की मौत के मामले देहरादून की सीजेएम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने इस मामले में आरोपी कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी समेत पांचों आरोपियों को बरी कर दिया है. जोशी के साथ भाजपा नेता योगेंद्र रावत, जोगिंदर सिंह पुंडीर, राहुल रावत और प्रमोद वोहरा भी आरोपी थे. देहरादून CJM कोर्ट लक्ष्मण रावत की अदालत ने इस मामले में साक्ष्यों और सबूतों के अभाव में मंत्री गणेश जोशी समेत सभी आरोपियों को दोषमुक्त करने का आदेश दिया है. साल 2016 में पुलिस के सर्वश्रेष्ठ घोड़े शक्तिमान की मौत प्रकरण में राज्य सरकार बनाम गणेश जोशी के खिलाफ केस नंबर 1911/2016 का मामला देहरादून की निचली अदालत में चल रहा था.
वहीं, कोर्ट के फैसले के बाद कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने बार एसोसिएशन के दफ्तर में मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने उन्हें पांच साल पुराने मामले में बरी कर दिया. इस फैसले के बाद वो बेहद खुश हैं. जोशी ने इसे सच की जीत बताया है.
क्या था मामला: बता दें कि 14 मार्च 2016 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार की कथित नाकामियों के विरोध में बीजेपी के सदस्यों ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया था. विधानसभा के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों व भाजपा समर्थकों के बीच झड़प भी हुई थी. आरोप था कि इस दौरान भाजपा विधायक गणेश जोशी ने पुलिस की लाठी छीनकर उन्हीं पर बरसाना शुरू कर दिया था. भाजपा विधायक गणेश जोशी के लाठी से हमला करने और दूसरी तरफ से भाजपा नेता प्रमोद वोहरा द्वारा लगाम खींचने से घोड़े का सारा भार उसके पीछे के हिस्से पर आ गया और वह गिर गया था, जिससे उसकी पिछली टांग की हड्डी टूट गई थी.
इस दर्दनाक घटना के बाद घोड़े शक्तिमान का देहरादून पुलिस लाइन में कई दिनों तक मेडिकल उपचार चलता रहा. हालांकि, शक्तिमान की जान बचाने के लिये चिकित्सकों ने ऑपरेशन कर उसकी टूटी टांग काट दी और उसकी जगह कृत्रिम (आर्टिफिशियल) पैर लगा दिया था, लेकिन उसकी जान नहीं बचा सके. यह मामला देश-विदेश में खूब चर्चित हुआ था. वहीं, उत्तराखंड पुलिस के प्रशिक्षित घोड़े शक्तिमान पर कथित रूप से लाठी से हमला कर उसे घायल करने के आरोप में भाजपा विधायक गणेश जोशी पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. कांग्रेस ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था.
उधर, आरोप के मुताबिक बीजेपी विधायक गणेश जोशी पर शक्तिमान प्रकरण में मुकदमा दर्ज कर साल 2016 से कोर्ट की कानूनी प्रक्रिया जारी थी. ऐसे में आखिरकार लंबी कोर्ट प्रक्रिया के बाद 23 सितंबर 2021 को देहरादून सीजेएम लक्ष्मण रावत की अदालत में साक्ष्य व सबूतों के अभाव जैसे विषयों के मद्देनजर मौजूदा कैबनेट मंत्री गणेश जोशी को शक्तिमान प्रकरण में बरी करने का आदेश दिया.
हालांकि, 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद तमाम भाजपाइयों पर दर्ज मुकदमों की वापसी का क्रम शुरू हुआ, जिसमें शक्तिमान प्रकरण की फाइल भी थी. अक्टूबर 2017 में विधायक गणेश जोशी से शक्तिमान की हत्या का मुकदमा वापस हो गया था.