चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो के बैंक खाते फ्रीज करने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही वीवो को अपने बैंक खाते के संचालन के लिए पहले 950 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा कराने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि वीवो को अपने बैंक खातों में 250 करोड़ रुपये का बैलेंस हमेशा रखना होगा.
दरअसल ईडी ने वीवो के खिलाफ पीएमएलए (PMLA) जांच के चलते इस मोबाइल कंपनी के विभिन्न बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था. चीनी कंपनी ने ईडी की इस कार्रवाई की खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करके अपने सभी बैंक खातों को डीफ्रीज करने की मांग की थी.
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय से वीवो के उस अनुरोध पर विचार करने को कहा था, जिसमें कंपनी ने कुछ देनदारी के निपटान के लिए बैंक खातों से लेनदेन करने की इजाजत मांगी थी. जस्टिस यशवंत वर्मा ने 8 जुलाई को हुई पिछली सुनवाई में ईडी से कहा था कि वीवो की इस याचिका पर वह अपना रुख बताए. इसके साथ अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को निर्धारित की थी.
वहीं वीवो के वकीलों ने अदालत में कहा था कि बैंक खातों पर रोक लगने से याचिकाकर्ता का कामकाज रुक गया है, जिसकी वजह से वह अपने कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे पा रही और करोड़ों रुपये के वैधानिक बकाया का भुगतान भी नहीं कर पा रही. दूसरी तरफ ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता जोहेब हुसैन ने अदालत से कहा कि यह याचिका समय से पहले दाखिल की गई है और याचिकाकर्ता को वैधानिक प्रक्रियाओं के पूरा हो जाने का इंतजार करना चाहिए था.
इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ के समक्ष यह याचिका आई थी जिन्होंने इसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था. प्रवर्तन निदेशालय ने पांच जुलाई को वीवो और संबंधित कंपनियों के खिलाफ धन शोधन जांच के सिलसिले में कई स्थानों पर तलाशी ली थी.
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मेघालय, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वीवो और उससे संबंधित कंपनियों से जुड़े 44 स्थानों पर छापेमारी की गई थी. वीवो ने अपनी याचिका में बैंक खातों पर रोक लगाने के ईडी के आदेश को रद्द करने का अनुरोध भी किया था.