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वाराणसी सीरियल ब्लास्टः वलीउल्लाह की फांसी की सजा को HC में देंगे चुनौतीः मौलाना मदनी

उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी में 16 साल पहले हुए सीरियल ब्लास्ट (Varanasi Serial Blasts 2006) मामले में सोमवार को गाजियाबाद जिला एवं सत्र न्यायालय ने आतंकी वलीउल्लाह खान (terrorist waliullah khan) को एक मामले में फांसी, तो दूसरे मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं, जमीयत उलमा-ए-हिन्द (Jamiat Ulama-e-Hind) के अध्‍यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने सजा का ऐलान होने के एक दिन बाद कहा है कि वलीउल्लाह की फांसी की सजा के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी.

बता दें कि साल 2006 में वाराणसी में हुए सीरियल ब्लास्ट में 20 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, तो 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. गाजियाबाद के जिला सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार सिन्हा ने वलीउल्लाह खान को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज दो मामलों में सजा का ऐलान किया है।

बहरहाल, जमीयत उलमा-ए-हिंद की तरफ से एक प्रेस नोट जारी करते हुए बताया गया कि गाजियाबाद जिला एवं सत्र न्यायालय के जज जितेंद्र कुमार सिन्हा ने 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर सीरियल ब्‍लास्‍ट मामले में एकमात्र आरोपी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुना दी. वलीउल्लाह खान का संबंध उत्तर प्रदेश के फूलपूर से है. स्पष्ट रहे कि पिछले दस वर्षों से आरोपी को जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर कानूनी सहायता दी जा रही थी।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कही ये बात
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वाराणसी सीरियल ब्लास्ट मामले में गाजियाबाद जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा वलीउल्लाह को दी गई फांसी की सजा पर अपनी प्रतिक्रिया देते कहा कि निचली अदालत के फैसला को हाईकोर्ट में चुनौदी दी जाएगी. हमें पूर्ण विश्वास है कि हाईकोर्ट से उनको पूरा न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले हैं, जिनमें निचली अदालतों ने सजाएं दीं, लेकिन जब वह मामले हाईकोर्ट में गए तो पूरा इंसाफ हुआ।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इसका एक बड़ा उदाहरण अक्षरधाम मंदिर हमले का मामला है, जिसमें निचली अदालत ने मुफ्ती अबदुल कय्यूम समेत तीन लोगों को फांसी और चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी थी.यही नहीं, गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था, लेकिन जमीयत उलमा-ए-हिंद की कानूनी सहायता के नतीजे में जब यह मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में गया तो यह सारे लोग न केवल सम्मानपूर्वक बरी हुए बल्कि निर्दोषों को आतंकवाद के इल्जाम में फांसने पर अदालत ने गुजरात पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई थी. हमें आशा है कि इस मुकदमे में भी हमें अन्य की तरह सफलता प्राप्त होगी।