27 साल पहले 12 साल की बच्ची के साथ दो लोग रेप करते हैं. दो पड़ोसी भाइयों ने महीनों उस बच्ची के साथ बलात्कार किया. 12 साल की बच्ची गर्भवती हो जाती है. 13 साल की उम्र में वो बच्चे को जन्म देती है. उस बच्चे को किसी अन्य परिवार को गोद दे दिया जाता है. लेकिन हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि वो बेटा कुछ दिन बाद अपनी मां के पास वापस आ जाता है. इसके बाद 27 साल बीत जाते हैं. अब 27 साल बाद बेटा मां से पूछ रहा है, मेरा बाप कौन है? तब जाकर 27 साल बाद वो अभागी मां आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराती है. दिल दिमाग और रिश्तों को झकझोर देनेवाली ये वो कहानी है, जो ना इससे पहले कभी सुनी गई और ना सुनाई गई.
इस कहानी की शुरुआत होती है उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से. बात 1994 की है. शाहजहांपुर में 12 साल की एक बच्ची रहती थी. अपनी बहन और जीजा के साथ. उनके पड़ोस में दो लड़के रहते थे. दोनों सगे भाई. बच्ची की बहन और जीजा काम के सिलसिले में अक्सर घर से बाहर रहा करते थे. जब भी वो दोनों बाहर जाते, दिन में मौका देखकर दोनों भाई उस बच्ची के साथ ज़बरदस्ती करते. ये सिलसिला करीब 6-7 महीने तक चलता रहा, तब बच्ची को इतनी अक्ल ही नहीं थी कि वो कुछ समझ पाती. लेकिन सच तब सामने आया, जब एक रोज़ बच्ची की तबीयत बिगड़ गई. बहन और जीजा उसे अस्पताल ले गए. तब जांच के बाद पता चला कि वो गर्भवती है.
ये जानकर बच्ची घरवालों पर पहाड़ टूट पड़ा. इतनी छोटी बच्ची और गर्भवती! डॉक्टरों ने अबॉर्शन करने से भी मना कर दिया. कहा इससे बच्ची की जान जा सकती है. मजबूरन बच्ची की बहन और जीजा बच्ची को लेकर दूसरी जगह चले गए. बाद में बच्ची ने एक बेटे को जन्म दिया. 13 साल की ये बच्ची अब खुद मां बन चुकी थी. बिन ब्याही बच्ची के इस सच को छुपाने के लिए उसकी बहन और जीजा ने वो बच्चा एक परिवार को गोद दे दिया. वक़्त बीतता जाता है. बच्ची अब बड़ी हो जाती है. बहन और जीजा एक अच्छा सा रिश्ता देख कर उसकी शादी कर देते हैं.
शादी के सात साल बाद तक सबकुछ अच्छा चल रहा था. शादी के बाद वो एक और बेटे को जन्म देती है. लेकिन 7 साल बाद अचानक उस बच्ची के बचपन का वो काला सच एक बार फिर से ज़िंदा हो उठता है. ये बात कई कानों सो होते हुए उसके पति के कानों तक भी पहुंच जाती है. अब उसका पति सच्चाई जान चुका था. लिहाज़ा वो अपनी पत्नी को बदचलन करार देते हुए उसके बेटे के साथ उसे घर से निकाल देता है. अब मां और बेटा फिर से अकेले हो जाते हैं. लेकिन ये कहानी का सिर्फ एक पहलू है.
दूसरी कहानी को अभी करवट लेना बाक़ी था. बरसों पहले उस बच्ची के बेटे को जिस परिवार को गोद दिया गया था, उस परिवार के कानों तक भी उसके अतीत की कहानी पहुंच जाती है. परिवार उस बेटे को जिसे उसने गोद लिया था, वापस उसकी असली मां को सौंप देता है. ये कहते हुए कि ये नाजायज़ है. अब वो मां अकेली और उसके सर पर दो बेटों का बोझ. सूरत कोई और बची नहीं थी, वो दोनों बेटों को लेती है और दूसरे शहर को कूच कर जाती है. नया ठिकाना लखनऊ था. खुद से काम करते हुए किसी तरह वो दोनों बेटों की परवरिश करती है. उन्हें पढ़ाती लिखाती है. वक़्त फिर तेज़ी से भागता है. दोनों बेटे अब जवान हो चुके थे. पहला बेटा तो करीब 27 साल का हो चुका था. धीरे-धीरे इस पहले बेटे को खुद के पैदा होने की कहानी भी पता चलने लगती है. इसी के बाद वो अपनी मां से पूछना शुरू कर देता है कि आखिर वो किसका बेटा है? उसका बाप कौन है? मां टालती रहती है, लेकिन बेटा भी पीछे नहीं हटता. फिर एक रोज़ ऐसी नौबत आती है कि बेटा मां को धमकी देता है कि अगर उसने उसके बाप का नाम नहीं बताया, तो वो खुदकुशी कर लेगा. मां की ममता हार जाती है और वो बेटे को 12 साल की उम्र में उसके साथ जो कुछ हुआ था, वो सारा सच बता देती है.
लेकिन सारा सच बताने के बावजूद वो खुद एक सच से अंजान थी. और सच ये कि जिन दो भाइयों ने उसके साथ महीनों ज़बरदस्ती की थी, उन दोनों में से उसके बेटे का असली बाप कौन है. सच्चाई सामने आने के बाद मां और बेटा तय करते हैं, वो असली गुनहगार को यानी असली बाप को सामने लाएंगे. और करीब 27 साल पहले हुए बलात्कार का सच भी उजागर करेंगे. इसी के बाद वो शाहजहांपुर पुलिस के पास पहुंचते हैं. बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाने. लेकिन शाहजहांपुर पुलिस 27 साल पहले हुए बलात्कार को शायद बलात्कार मानने को तैयार ही नहीं थी. लिहाज़ा रिपोर्ट लिखने से मना कर देती है. अब आख़िरी रास्ता कोर्ट का था. मां फरियाद लेकर कोर्ट पहुंचती है. कोर्ट हुक्म सुनाती है कि बलात्कार की रिपोर्ट लिखी जानी चाहिए. रिपोर्ट लिख ली जाती है. लेकिन मसला अब भी हल नहीं हुआ था. असली बाप का राज़ अब भी छुपा हुआ था. लिहाज़ा मां कोर्ट से फरियाद करती है कि वो उन दो भाइयों का डीएनए टेस्ट कराए, ताकि ये पता चल सके कि उसके बेटे का असली बाप कौन है. कोर्ट डीएनए की बात भी कबूल कर लेती है, पर डीएनए अभी हुआ नहीं है, कब होगा पता नहीं.
लेकिन इस बीच एक नई चीज़ ज़रूर होती है. किसी तरह मां उन दोनों भाइयों का पता लगा कर उन्हें फ़ोन करती है, ये पूछने के लिए कि उसके बेटे का असली बाप उन दोनों में से कौन है. दोनों भाई उसे झिड़क देते हैं कि दोबारा फ़ोन किया, तो जान से मार देंगे. फिलहाल, ये कहानी यहां आकर खड़ी है. अब, जब तक उन दोनों आरोपियों का डीएनए नहीं हो जाता, ना इस मां को ना उसके बेटे को इस सवाल का जवाब मिलेगा कि आखिर उसका बाप कौन है. आखिर में बात पुलिस की भी. बलात्कार की रिपोर्ट लिखी जा चुकी है. कोर्ट से डीएनए कराने का फरमान भी आ चुका है. लेकिन कमाल है यूपी पुलिस का. पीड़ित मां ने उन दोनों गुनहगारों को ढूंढ निकाला, लेकिन पुलिस अब तक उन्हें गिरफ्तार भी नहीं कर पाई. आपसे ये वादा है कि अब जैसे ही इस कहानी का क्लाईमेक्स हमें मिलेगा, हम आप तक ज़रूर पहुंचाएंगे.