मां के गर्भ में नौ माह पलने के बाद जब बिटिया जन्मी तो जन्म लेते ही उसका सामना दुनियां की क्रूरता से हो गया। यह उस बेटी की बदनसीबी कहें अथवा उसकी मां की मजबूरी।
जिसने न चाहते हुए भी अपनी कोख से जन्मी बच्ची को अलग कर दिया। बच्ची जब तक गर्भ में रही तो सुरक्षित थी, बाहर आयी तो उसे सड़क किनारे मरने के लिए छोड़ दिया गया। अगर बच्ची बोलने की स्थिति में होती तो शायद उसके मुख से यही शब्द निकलते कि अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो…।
अल्लुनगर मुर्गी फार्म के पास मंगलवार दोपहर इलाके में रहने वाली शांति गुजर रही थीं। इस बीच दो युवक बाइक से गुजरे और सड़क किनारे एक कपड़े में लिपटी हुई बच्ची को सड़क पर छोड़कर चले गए। बाइक सवारों के जाते ही बच्ची रोने लगी। यह देख शांति दौड़कर वहां पहुंची। उसने बच्ची को देखा तो उठाकर झट से सीने से लगा दिया। इसके बाद स्थानीय लोगों और पुलिस कंट्रोल रूम को इसकी सूचना दी। मासूम को सड़क पर छोड़कर जाने की सूचना पर इंस्पेक्टर मड़ियांव मनोज कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने डीसीपी देवेश पांडेय और अन्य अफसरों को घटना की जानकारी दी।
इंस्पेक्टर ने बताया कि मामले की जानकारी चाइल्ड लाइन को दी गई। इंस्पेक्टर ने बताया कि चाइल्ड लाइन के सदस्य ब्रजेंद्र शर्मा, अनीता त्रिपाठी व अन्य लोग वहां पहुंचे। इसके बाद बच्ची को उनके सिपुर्द कर दिया गया। चाइल्ड लाइन ने बच्ची का झलकारी बाई अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराया। बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। इसके बाद उसे राजकीय बाल गृह शिशु में रखा गया है। इंस्पेक्टर ने बताया कि बच्ची को कौन और क्यों छोड़ गया, इसकी जानकारी अभी नहीं हो सकी है। इस बारे में पता लगाया जा रहा है।