केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार रेल, सड़क और हवाई अड्डे किराये पर देगी जिससे 2025 तक 6 लाख करोड़ रुपये की आमदनी होने का अनुमान है। नीति आयोग ने बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर वाले मंत्रालयों के साथ सलाहकर उन सम्पत्तियों की सूची बनाने का काम किया है, जहां एसेट मोनेटाइजेशन की संभावना है। ये सेक्टर रेलवे, सड़क परिवहन और हाई-वे, जहाजरानी, टेलिकॉम, बिजली, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, युवा मामले और खेल हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने एसेट मोनेटाइजेन के लिए नीति आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की एनएमपी (राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना) की शुरुआत की। इसके तहत यात्री ट्रेनों, रेलवे स्टेशनों से लेकर हवाई अड्डों, सड़कों और स्टेडियमों का मौद्रीकरण शामिल है।
इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाये जायेंगे और सम्पत्तियों का विकास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ बेच रही है, ये मौजूदा सम्पत्तियां हैं, जिन पर सरकार का स्वामित्व बना रहेगा। निजी कंपनियां इन्विट मार्ग का इस्तेमाल करके एक निश्चित मुनाफे के लिए परियोजनाओं में निवेश कर सकती हैं, वे इन परिसम्पत्तियों को सरकारी एजेंसी को वापस करने से पहले एक निश्चित अवधि के लिए परिसम्पत्तियों का संचालन और विकास कर सकती हैं। इसके तहत गोदाम और स्टेडियम जैसी कुछ सम्पत्तियां भी संचालन के लिए लम्बी अवधि के पट्टे पर दी जा सकती हैं।
बता दें कि सम्पत्ति मौद्रिकरण का अर्थ सरकारी क्षेत्र की उन सम्पत्तियों से राजस्व या आय के नए साधनों के रास्ते खोजना है जिनका अब तक पूरा दोहन नहीं किया गया है, चूंकि सरकार पूंजी की किल्लत से जूझ रही है इसलिए सरकार चाहती है कि निजी कम्पनियां पैसे लगाएं। कई सरकारी कम्पनियां, प्रोजेक्ट लचर प्रबंधन, पूंजी की किल्लत, तकनीकी अक्षमता से जूझ रही हैं। सरकार को कहीं न कहीं से लगता है कि यह कम्पनियां प्राइवेट हाथों में आकर अपना हुलिया बदलेंगी और सरकार के लिए बोझ साबित नहीं होगीं। इससे सालों से बेकार पड़े सरकारी संसाधनों का समुचित उपयोग तो होगा ही सरकार को लाभ भी होगा।