किसी समस्या का समाधान न तो पहले कभी युद्ध रहा और न ही कभी रहेगा। लेकिन मौजूदा समय में दुनिया के दो ऐसे देश उभरकर सामने आ रहे हैं, जो अनवरत इस धारणा को सिरे से खारिज कर रहे हैं व वर्तमान में युद्ध के लिए इस कदर अमादा हो चुके हैं कि अब अंतरराष्ट्रीय अपील को भी सिरे से खारिज कर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका सहित रूस जैसे दिग्गज मल्कों के आग्रह को भी अनसुना कर दिया है। यह दोनों मुल्क अर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia -Azerbaijan) हैं, जिनके बीच पिछले चार दिनों से युद्ध का सिलसिला जारी है। फिलहाल तो यह अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अर्मेनिया और अजरबैजान की सेनाएं विवादित नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में आमने सामने तैनात हैं। दोनों तरफ से गोलाबारी का सिलसिला जारी है। तनाव अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। ऐसी स्थिति में आगे यह क्या रूख अख्तियार करता है। यह कहना तो फिलहाल मुश्किल है, लेकिन दोनों ही मुल्कों के बीच हालात अभी अपने चरम पर पहुंच चुके हैं।
हो चुकी है इतने लोगों की मौत
यहां पर हम आपको बताते चले कि अभी तक इस युद्ध में 200 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, और वहीं दर्जनों घायल हो चुके हैं। उधर, अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जारी तनाव को लेकर जिस तरह के रूख का परिचय तुर्की ने दिखाया है। उसके बाद से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि रूस अब इस लड़ाई में अर्मेंनिया की तरफ से उतर आए। अगर ऐसा हुआ तो यकीनन हालात संवेदनशील हो सकते हैं। वहीं, इस युद्ध को लेकर अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोलस पशिनियन ने साफ कर दिया है कि वह अजरबैजान के साथ किसी भी बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं।
उधर, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से लगातार वार्ता की सेतु पर सवार होकर इस युद्ध को विराम देने की कोशिश जारी है, चूंकि इस युद्ध से दोनों ही मुल्कों का खासा नुकसान हो रहा है। लेकिन अब मौजूदा हालात की संवेदनशीलता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि दोनों में से कोई भी देश अपनी स्थिति से टस से मस नहीं हो रहे हैं।
तुर्की ने उकसाया है
इसके साथ ही अर्मेनिया का साफ कहना है कि तुर्की उकसावे वाली कार्रवाई कर रहा है। जिसके चलते दोनों ही देशों के बीच अब हालात संवेदनशील बन चुके हैं। मगर दोनों में से कोई भी देश वार्ता करने के लिए तैयार नहीं है। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि सैनिकों ने अर्मेनिया के 130 टैंक, 200 तोपखाने, 25 विमान-रोधी यूनिट, पांच गोला-बारूद डिपो, 50 एंटी-टैंक यूनिट, 55 सैन्य वाहनों को नष्ट कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात का डर
वहीं, दोनों देशों के बीच जारी युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर इस युद्ध में रूस जैसी महाशक्ति शामिल हो गई तो हालात अत्याधिक संवेदनशील हो सकते हैं। उधर, तुर्की के उकसावे के बाद माना जा रहा है कि रूस अर्मेनिया के साथ जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो हालात संवेदनशील हो सकते हैं, लिहाजा अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार इस युद्ध को विराम देने की कोशिश में जुट चुका है।