भारत की विदेश नीति में रामायण अब सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी का अहम हिस्सा होगी। सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के रूप में रामायण के सहयोग को प्रमाणिक रूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रदेश सरकार रामायण देशों के समूह की स्थापना करने की कोशिश कर रही है। रामायण समूह में 205 देशों को शामिल किए जाने की योजना है। इसके अलावा भारतीय संस्कृति में राम के माध्यम से वैश्विक विस्तार को अभिलेखीकृत कर भावी पीढ़ी को वृहद दस्तावेज उपलब्ध कराने का काम भी शुरू हो गया है। इसके लिए 200 खंडों में रामायण विश्वमहाकोश छपेगा जिसके पहले खंड का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ छह मार्च को लखनऊ में करेंगे।
भारतीय संस्कृति का वैश्विक विस्तार रामायण के मूर्त एवं अमूर्त विरासत के विविध पक्षों-स्थापत्य, मूर्ति, चित्र, संगीत, हस्तशिल्प, साहित्य के साथ परंपराओं, विश्वासों, मान्यताओं, रामलीलाओं का विस्तार विश्व के लगभग सभी देशों में विद्यमान है। इन सभी मूर्त एवं अमूर्त विरासतों को संकलित करते हुए भारत में राज्यवार व विश्व के सभी देशों में रामायण कला, संस्कृति, साहित्य एवं जीवन पद्धति को क्रमबद्ध रूप में संकलित किया जाएगा।
रामायण से संबंधित सभी जानकारियां जो प्रदेश, देश और विश्व के फलक पर उपलब्ध हैं का दस्तावेजीकरण करना प्रस्तावित है। समस्त अभिलेख, दस्तावेज एवं शोध कार्य को इनसाइक्लोपीडिया के रूप में खंडों में प्रकाशित किया जाएगा। रामायण विश्वमहाकोश 200 खंडों में प्रकाशित किया जाएगा। हर खंड में करीब 800 से 1000 पेज होंगे। इसके पहले खंड की झलक छह मार्च को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष पेश की जाएगी। इस कार्यक्रम में प्रदेश के पर्यटन व संस्कृति मंत्री नीलकंठ तिवारी भी मौजूद रहेंगे। रामायण के विश्व महाकोश में राम व रामायण को लेकर ऐसी जानकारियां उपलब्ध होंगी जो कि दुर्लभ हैं। राममंदिर पुरातत्व की दृष्टि से शोध का विषय रहा है।
रामायण को भारत की विदेश नीति में सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी का हिस्सा बनाने के लिए विदेश मंत्रालय के सहयोग से 205 देशों का रामायण समूह भी बनाया जाएगा। इस योजना के लिए पांच साल की समय सीमा तय की गई है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने 85 लाख का बजट भी घोषित किया है। रामायण विश्व महाकोश का पहला खंड राममंदिर व अयोध्या पर केंद्रित होगा। इसमें राममंदिर आंदोलन का भी जिक्र होगा। राममंदिर के लिए कोर्ट में चली प्रक्रिया व फैसले से लेकर ट्रस्ट के गठन तक की पूरी जानकारी दी जाएगी। सरकार इसके जरिए देश की युवा पीढ़ी के समक्ष भगवान राम के चरित्र, आदर्श और उनकी यश गाथा को तथ्यों और प्रमाणों के अनुसंधान के बाद पेश करना चाहती है।
खंड-एक में अयोध्या की पौराणिकता से लेकर उन संत-महापुरुषों का भी वर्णन होगा जिनकी ख्याति सदियों तक अक्षुण्ण रहेगी। इसके साथ ही अयोध्या के मेले, त्योहार, संगीत परंपरा, एडवर्ड के पत्थर, मंदिर एवं पूजा स्थल, रामनगरी के कुंड, अयोध्या के सांस्कृतिक भूगोल का वर्णन भी होगा। भारतीय संस्कृति को राम के माध्यम से वैश्विक विस्तार देना और उन्हें अभिलेखीकृत कर भावी पीढ़ी को वृहद दस्तावेज उपलब्ध कराना है। भारत की विदेश नीति में सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के रूप में रामायण के सहयोग को प्रमाणिक रूप में प्रस्तुत करते हुए रामायण देशों का समूह बनाने का प्रयास है। विदेश मंत्रालय के सहयोग से 205 देशों को जोड़ा जाएगा। दुनिया में मौजूद रामायण संस्कृति की विस्तृत जानकारी इस महाकोश के माध्यम में दी जाएगी। इसके पहले खंड का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे।