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राफेल डील में घूस के आरोपों पर BJP का कांग्रेस पर पलटवार, संबित पात्रा बोले- ‘भ्रष्टाचार का पता है- 10 जनपथ रोड’

राफेल लड़ाकू विमानों के समझौते में घूस दिए जाने की रिपोर्ट सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा कि यह मामला 2007 और 2012 के बीच का है, जब कांग्रेस की सरकार थी. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि जिस सुशेन गुप्ता नाम के बिचौलिए का नाम सामने आया है, वो कोई नया खिलाड़ी नहीं है. उन्होंने कहा कि सुशेन गुप्ता का नाम वीवीआईपी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में भी कमीशन एजेंट के रूप में सामने आया था.

संबित पात्रा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “राहुल गांधी भारत में नहीं हैं. इटली से वो जवाब दें कि इतने सालों तक कांग्रेस ने भ्रम फैलाने का काम किया है, आज यह खुलासा हुआ है उन्हीं की सरकार के कालखंड में यह कमीशनखोरी हुई. ये बहुत दुखद है कि भारतीय वायुसेना को फाइटर एयरक्राफ्ट की जरूरत थी और 10 सालों तक इस विषय को पेंडिंग रखा गया, समझौता कर रहे थे. और अब हम जान रहे हैं कि इतने सालों तक वे एयरक्राफ्ट को लेकर समझौते नहीं कर रहे थे, बल्कि वे कमीशन को लेकर समझौते कर रहे थे.”

पात्रा ने कहा कि कांग्रेस के काल में हमने लड़ाकू विमान खरीद के समझौते को पूरा होते तो देखा नहीं, लेकिन अब कमीशन लिए जाने का समझौता देख रहे हैं. उन्होंने कहा, “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. आज ये कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि INC का मतलब है ‘आई नीड कमीशन’. बिना कमीशन के ये कुछ नहीं करते. जब से कांग्रेस से है, तब से घोटाला हो रहा है. यूपीए के काल में हर डील के अंदर एक डील था.”

राफेल डील में 65 करोड़ रुपए की कमीशनखोरी का आरोप

उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि भ्रष्टाचार का ठिकाना नहीं होता है, भ्रष्टाचार का पता है- 10 जनपथ रोड. उन्होंने कहा कि कमीशन लेकर आप इटली चले गए और ट्वीट करते हैं कि कांग्रेस के साथियों लड़ते रहो. कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे विषय की विवेचना के बाद केंद्र सरकार को क्लीन चिट दिया था. पूरे मसले पर CAG की भी जो टिप्पणी रही है वो ये है कि मौजूदा सरकार ने जो डील किया, वो बेहतर है. आर्टिकल में सीबीआई के जिक्र पर मैं टिप्पणी नहीं कर सकता हूं.”

फ्रांसीसी पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत से यह सौदा हासिल करने में मदद के लिए एक बिचौलिए को गोपनीय रूप से करीब 7.5 मिलियन यूरो (करीब 65 करोड़ रुपए) का भुगतान किया. और दसाल्ट कंपनी को इस घूस की राशि देने में सक्षम बनाने के लिए कथित रूप से फर्जी बिलों का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, दसॉल्ट एविएशन ने 2007 और 2012 के बीच मॉरीशस में बिचौलिए को रिश्वत का भुगतान किया.

राहुल गांधी ने भी सरकार के खिलाफ किया ट्वीट

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल डील में कमीशन दिए जाने की खबर को शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, “जब पग-पग पर सत्य साथ है, तो फिक्र की क्या बात है? मेरे कांग्रेस साथियों- भ्रष्ट केंद्र सरकार के खिलाफ ऐसे ही लड़ते रहो. रुको मत, थको मत, डरो मत!”

मीडियापार्ट ने आरोप लगाया कि ‘ऐसे दस्तावेजों’ के होने के बावजूद भारतीय जांच एजेंसियों ने मामले में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया. रिपोर्ट में दावा किया गया है, “इसमें ऑफशोर कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और ‘फर्जी’ बिल शामिल हैं. मीडियापार्ट यह खुलासा कर सकती है कि भारत की जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के पास अक्टूबर 2018 से इस बात के सबूत थे कि फ्रांसीसी विमानन कंपनी दसॉल्ट ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को गुप्त कमीशन में कम से कम 75 लाख यूरो का भुगतान किया था.”

कांग्रेस राफेल डील को लेकर पहले भी रही हमलावार

बीजेपी के नेतृत्व वाली मौजूदा केंद्र सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को भारतीय वायु सेना के लिए 36 राफेल जेट विमान खरीदने का सौदा किया था. राफेल सौदे को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही है. उसने सरकार पर सौदे में भारी अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार प्रत्येक विमान को 1,670 करोड़ रुपए से अधिक कीमत पर खरीद रही है, जबकि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने इसे 526 करोड़ रुपए में अंतिम रूप दिया था.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल उठाए थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था. राफेल निर्माता दसॉल्ट एविएशन और भारत के रक्षा मंत्रालय ने इससे पहले करार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में इस सौदे की जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसके लिए कोई आधार नहीं है.