गत विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीत का परचम लहराकर प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास करने वाली बहुजन समाज पार्टी विधानसभा उपचुनाव में नहीं उतरेगी. बसपा के इस निर्णय से सीधा फायदा सत्तारूढ़ कांग्रेस को मिलना तय है. बसपा के प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि इस समय पार्टी में संगठनात्मक कार्य चल रहा है. लिहाजा वह उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. प्रदेश में 4 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें से तीन सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित हो चुका है.
बसपा के राजस्थान अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा कि पार्टी सुप्रीमो मायावती से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया है कि पार्टी उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. इसके पीछे उन्होंने पार्टी में चल रहे संगठनात्मक कार्य का तर्क दिया है. बाबा ने कहा कि इस समय पार्टी का संगठनात्मक कार्य चल रहा है. पार्टी का लक्ष्य है कि 2021 में बूथ स्तर तक संगठन खड़ा किया जाए, ताकि 2023 में मजबूती के साथ विधानसभा चुनाव लड़कर बैलेंस ऑफ पावर बन सके.
जीत के बाद सभी 6 विधायक कांग्रेस में चले गये थे
उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा चुनाव में बसपा ने प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी. पार्टी की बदकिस्मती यह रही की चुनाव के कुछ माह बाद ही बसपा के सभी विधायक कांग्रेस में चले गए थे. इस पर पार्टी सुप्रीमो मायावती काफी गुस्सा हुई थीं. मायावती ने इस मसले को लेकर सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस को काफी भला-बुरा कहा था.
सियासी संकट के समय छाया रहा था मुद्दा
गत वर्ष गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के समय यह मुद्दा फिर उठा था. उस समय बीजेपी विधायक मदन दिलावर बसपा के विधायकों के कांग्रेस में मर्ज होने के मसले को लेकर हाईकोर्ट भी गये थे. उसके बाद यह मसला काफी समय तक सुर्खियों में रहा था. अब एक बार फिर बसपा के चुनाव मैदान में नहीं उतरने के निर्णय से पार्टी चर्चा में है. माना जा रहा है कि बसपा के इस निर्णय से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का फायदा मिलेगा.