कनाडा (canada) में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां के बंद पड़े स्कूल में 215 बच्चों के शव के दफन होने का मामला सामने आया है। इनमें से कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनकी उम्र मात्र तीन साल है। इस घटना का खुलासा पिछले हफ्ते ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (Ground penetrating radar) की मदद से हुआ था, जिसके बाद यहां खुदाई शुरू हुई और बच्चों के शव मिलने शुरू हुए। अभी यहां और शवों के मिलने की आशंका है। स्कूल की जमीन पर अभी भी रडार से सर्वे जारी है क्योंकि अभी और शवों के मिलने की आशंका जताई जा रही है। साथ ही अब उन परिवारों का पता भी लगाया जा रहा है, जिनके बच्चे कभी यहां रहकर पढ़ाई किया करते थे।
जानकारी के मुताबिक़ कनाडा के केमलूप्स इंडियन रेसिडेंशियल स्कूल (Former Kamloops Residential School) में जमीन के नीचे से 215 बच्चों के शव बरामद हुए हैं। कभी यह स्कूल कनाडा का सबसे बड़ा रेसिडेंशियल यानी बोर्डिंग स्कूल माना जाता था। इस स्कूल में देश भर के बच्चे पढ़ने आते थे। हालांकि कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में स्थित इस स्कूल को 1978 में बंद कर दिया गया था। बच्चों के शव मिलने को लेकर स्कूल की एक पूर्व अधिकारी रोजैन केसिमीर ने बताया कि बीते हफ्ते ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार की मदद से जमीन के नीचे शवों के दफन होने की जानकारी मिली थी। रोजैन कहती हैं “ये एक ऐसा नुकसान है जिसके बारे में कभी सोच भी नहीं सकते।
बच्चों को बेरहमी से पीटा गया
वह कहती हैं कि ‘इस नुकसान के बारे में बोल तो सकते हैं लेकिन इसे कभी इतिहास में दर्ज नहीं किया जा सकता।’ वह बताती हैं, ’19वीं सदी की शुरुआत से लेकर 1970 तक क्रिश्चियन स्कूलों में देशभर से 1.50 लाख से ज्यादा बच्चों को लाया गया था, उन बच्चों पर क्रिश्चियन में कन्वर्ट करने का दबाव डाला जाता था और उन्हें अपनी मातृभाषा तक बोलने की इजाजत नहीं दी जाती थी, इस दौरान कई बच्चों को बेरहमी से पीटा गया। कहा जाता है कि इस समय करीब 6 हजार बच्चों की हत्या कर दी गयी थी।’
3,200 बच्चों की जान गयी थी
गौरतलब है कि बच्चों के साथ हुई इस बर्बरता को लेकर साल 2008 में कनाडा की सरकार ने संसद में खुलेआम माफी भी मांगी थी और इस बात को स्वीकार किया था कि उस वक्त क्रिश्चियन स्कूलों में बच्चों का शारीरिक और यौन शोषण भी होता था। वहीं इस मामले को लेकर लगभग 5 साल पहले ट्रूथ एंड रिकॉन्सिलिएशन कमीशन की भी एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि दुर्व्यवहार और बर्बरता की वजह से कम से कम 3,200 बच्चों की जान गयी थी, जबकि कैमलूप्स स्कूल में 1915 से 1963 के बीच मात्र 51 बच्चों की मारे जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
प्रधानमंत्री ने जताया दुःख
यह स्कूल 1890 से 1969 तक चलाया गया। इसके बाद सरकार ने कैथोलिक चर्च से इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। रोजैन के अनुसार “स्कूल के साइज को देखकर ऐसा लगता है कि इसमें एक बार में करीब 500 छात्र रहते और पढ़ते होंगे।”इस घटना पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड्यू ने भी अफसोस जताया है। उन्होंने कहा, “स्कूल में शव मिलने की खबर बहुत दुःख देने वाली है, ये हमारे देश के इतिहास के काले और शर्मनाक अध्याय की दर्दनाक याद है, मैं उन सभी के बारे में सोच रहा हूं जो इस खबर से प्रभावित हुए हैं, हम आपके लिए यहां है।’