रिर्पोट :- सुरेंद्र सिंघल/गौरव सिंघल,विशेष संवाददाता,दैनिक संवाद,सहारनपुर मंडल।
सहारनपुर। तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन से प्रभावित पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी माने-जाने वाले पूरे क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में शामिल किए गए मंत्रियों में जातीय संतुलन पर खास ध्यान दिया गया। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार इस क्षेत्र के कई जिलों में भाजपा की सीटें घटी हैं। इस कारण भाजपा को उपयुक्त मंत्रियों का चयन करने में दिक्कतें पेश आईं और जातीय संतुलन साधने की वजह से सहारनपुर जिले में गैर विधायक जसवंत सैनी और गाजियाबाद से नरेंद्र कश्यप को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया।
रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के गृह जनपद बागपत में भाजपा ने तीन में से दो सीटें जीतकर शानदार सफलता हांसिल की और शायद इसी वजह से भाजपा के प्रबंधकों ने बड़ौत सीट से दूसरी बार जीते कृष्णपाल मलिक को मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। मेरठ जिले से मंत्रियों की संख्या इस बार दोगुनी की गई है। पिछली सरकार में हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से दिनेश खटीक को राज्यमंत्री बनाया गया था। इस बार गुर्जर बिरादरी को प्रतिनिधित्व देने की खातिर मेरठ दक्षिण सीट से पुनः जीते गए सोमेन्द्र तोमर का चयन किया गया।
गाजियाबाद के अतुल गर्ग को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। उनके स्थान पर पिछड़ी जाति के नरेंद्र कश्यप को राज्यमंत्री बनाया गया। इस बार जाट बहुल शामली जिला मंत्रिपरिषद में स्थान पाने से वंचित रहा। वजह इस जिले की तीनों सीटें भाजपा हार गई थी। हालांकि भाजपा ने इस जिले के कस्बा कैराना के पलायन के मुद्दे चुनाव प्रचार में खूब हवा दी थी। लेकिन काबिना दर्जे के गन्ना मंत्री सुरेश राणा थानाभवन सीट पर तीसरी बार जीत दर्ज नहीं कर पाए। हालांकि इस जिले से चौधरी वीरेद्र गुर्जर विधान परिषद के सदस्य हैं। लेकिन संभवतः उनकी बढ़ती उम्र के कारण उनके बजाए उन्हीं की बिरादरी के युवा और प्रतिभाशाली सोमेन्द्र तोमर को स्थान दिया गया। योगी आदित्यनाथ जी की पिछली सरकार में गुर्जरों का प्रतिनिधित्व बिजनौर के एमएलसी अशोक कटारिया करते थे।
लेकिन उनका कामकाज पार्टी नेतृत्व को प्रभावित नहीं कर पाया। उन्हें मंत्रिमंडल में पुनः स्थान नहीं दिया गया। राजपूत बिरादरी के सुरेश राणा के चुनाव हार जाने के कारण उनके रिक्त स्थान की पूर्ति देवबंद के विधायक कुंवर बृजेश सिंह रावत को मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री बनाकर की गई। शामली जिले की तरह बिजनौर जिला भी मंत्रिपरिषद में स्थान पाने से वंचित रह गया। हालांकि बिजनौर जिले में भाजपा के चार विधायक चुनाव जीते हैं। बिजनौर जिले की तरह अमरोहा जनपद भी मंत्रिपरिषद में स्थान पाने से वंचित रह गया। सहारनपुर जनपद से अबकी पांच विधायक जीते हैं। लेकिन बेहट सीट से चुनाव हारे भाजपा उम्मीदवार नरेश सैनी के कारण गैर विधायक जसवंत सैनी को मंत्रिपरिषद में स्थान दिया गया। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थे।
योगी जी के पिछले मंत्रिमंडल में सहारनपुर की नकुड़ सीट के विधायक डा. धर्मसिंह सैनी मंत्री थे जो चुनाव के दौरान भाजपा छोड़कर सपा में चले गए थे। उस सीट से भाजपा के युवा गुर्जर उम्मीदवार मुकेश चौधरी जीते हैं। सहारनपुर जिले में सैनी मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और चुनाव में यह देखा गया कि धर्म सिंह सैनी के भाजपा छोड़ने के बावजूद सैनी बिरादरियों का वोट भाजपा को मिला है। इस कारण जसवंत सैनी को बिना विधायक हुए भी मंत्री पद से नवाजा गया। इसका फायदा भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिल सकता है। इस तरह से गन्ना पट्टी में भाजपा ने वैश्य, जाट, गुर्जर, सैनी, कश्यप बिरादरियों को प्रतिनिधित्व देकर जातीय संतुलन साधा है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल के गठन में प्रदेश भाजपा के महामंत्री संगठन सुनील बंसल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के अच्छे जानकार हैं। उन्होंने इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 23 मंत्रियों को प्रतिनिधित्व दिलाने का काम किया है। सहारनपुर, मेरठ और मुरादाबाद इन तीन मंडलों से कुल 10 मंत्री हैं। जिनमें चौधरी भूपेंद्र सिंह अकेले काबिना मंत्री हैं। तीन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार हैं और सात राज्य मंत्री बनाए गए हैं। इस पूरे क्षेत्र में किसान आंदोलन का खासा असर रहा था।