पिछले कुछ सालों में भारत ने रक्षा के क्षेत्र में अपनी नीतियों को बदला है. भारत अब हथियारों के लिए पूरी तरह से रूस पर निर्भर नहीं रहा. रक्षा बजट में बढ़ोतरी की. अपनी जीडीपी का 2.3 फीसदी बजट रक्षा के लिए खर्च कर रहा है. रक्षा के क्षेत्र ताकतवर देश बनने के लिए भारत 64.4 बिलियन डॉलर खर्च करके सेना को सशस्त्र बलों और आधुनिक तकनीक से लैस बनाने की योजना बना रहा है. भारत सेना को ताकतवर बनाने के लिए इसी साल इस योजना को अंजाम देगा.
भारत अब सिर्फ हथियारों को खरीदने वाला देश नहीं रहा बल्कि इन्हें एक्सपोर्ट करना भी शुरू कर चुका है. अगले पांच सालों में डिफेंस एक्सपोर्ट के जरिए भारत ने 5 बिलियन डॉलर हासिल करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए डिफेंस सेक्टर में 100 फीसदी तक FDI को मंजूरी दी है ताकि हथियारों की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले.
रक्षा के क्षेत्र में भारत ने कितनी बदली नीति, 3 पॉइंट में समझें
- पिछड़ा रूस: स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट कहती है, लम्बे समय तक भारत हथियारों के लिए रूस पर निर्भर रहा है, लेकिन अब उसके पास फ्रांस, रूस, अमेरिका, साउथ कोरिया और इजरायल जैसे देश हैं, जिससे हथिया खरीदे जा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में साउथ कोरिया, ब्राजील और साउथ अफ्रीका भी भारत को हथियार सप्लाई करने वाले बड़े देश बनकर उभरे हैं.
- अमेरिका और रूस से दूरी बनाई: SIPRI की रिपोर्ट के मुतबिक, रूस से हथियार के आयात में 22 फीसदी की कमी आई है. इतना ही नहीं, 2015 से 2020 के बीच भारत में हथियारों के आयात में कुल 33 फीसदी तक कमी दर्ज की गई. अमेरिका से भी बंदूकें खरीदने के आंकड़े में 46 फीसदी की गिरावट आई है. हथियारों के मामले में भले ही भारत ने इन दो देशों से दूरी बनाई हो लेकिन दूसरे देशों से डील की.
- छोटे देशों से की डील: अमेरिका और रूस से दूरी बनाने के बाद भारत ने फ्रांस से हथियार आयात करने शुरू किए. यही वजह है कि फ्रांस जिन देशों को 49 फीसदी तक बंदूकें सप्लाई कर रहा है उसमें भारत, इजिप्ट और कतर शामिल हैं. रक्षा के लिए डील करने में भारत ने छोटे देशों को प्राथमिकता दी. 2009 से लेकर अब तक पिछले तीन सालों में उज्बेकिस्तान जैसा छोटा सा देश भारत का सबसे बड़ा बंदूकों का सप्लायर बन गया है. इस लिस्ट साउथ कोरिया भी शामिल है.
भारत को डिफेंस पॉलिसी बदलने की नौबत क्यों आई?
भारत हथियारों को आयात करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश रहा है. भारत अब हथियारों के आयात को घटाना चाहता है और इनके निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहता है ताकि अर्थव्यवस्था को और बेहतर किया जा सके. यही वजह है कि भारत अगले 5 साल में 130 बिलियन डॉलर खर्च करके सेना को आधुनिक बनाएगा.
केंद्र सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को डिफेंस इंडस्ट्री में आने का मौका दिया है ताकि देश में आत्मनिर्भर अभियान के तहत हथियारों का निर्माण किया जा सके. पिछले हफ्ते रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि आत्मनिर्भर अभियान के तहत पिछले 1 साल में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने 28 सफल टेस्ट किए हैं.
रक्षा के क्षेत्र में कितना आत्मनिर्भर हुआ भारत?
सेना को आधुनिक बनाने के लिए DRDO तेजी से काम कर रहा है. इस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने सेना को कई ऐसे हथियार दिए हैं, जिससे दुश्मन का सामना करने में सैन्य बल पहले से कहीं अधिक मजबूत हुआ है. इसमें विजुअल रेंज मिसाइल सिस्अम, 10 मीटर शॉर्ट स्पान ब्रिजिंग सिस्टम, इंडियन मेरिटाइम सिचुवेशनल अवेयरनेस सिस्टम (IMSAS), हैवी वेट टॉरपीडो (HWT), बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम (BOSS) और अर्जुन Mk-1A शामिल हैं.
इतना ही नहीं, DRDO और प्राइवेट संस्थान सेना से जुड़े कई सिस्टम मिलकर तैयार कर रहे हैं. दोनों ने मिलकर पिछले एक साल में कई तरह के आधुनिक हथियार विकसित किए हैं. इनमें एडवांस्ड टॉउड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), एक्सटेंडेड रेंज पिनाका सिस्टम और गाइडेट पिनाका रॉकेट सिस्टम शामिल है.
अब आयात कम और निर्यात बढ़ाने की तैयारी
देश का रिसर्च संस्थान DRDO अब दूसरे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है. इसमें अमेरिका, रशिया, सिंगापुर, ब्रिटेन और कोरिया शामिल है. पिछले कुछ समय से भारत रक्षा से जुड़े इक्विपमेंट दूसरे देशों को सप्लाई कर रहा है. मार्च से दिसंबर 2020 के बीच भारत ने अमेरिका को 780 मिलियन डॉलर के डिफेंस इक्विपमेंट सप्लाई किए.
इतना ही नहीं DRDO ने 3 फरवरी 2021 को रक्षा से जुड़े जो इक्विपमेंट निर्यात किए उसमें 19 एयरेनॉटिकल सिस्टम, 41 आर्मामेंट एंड कॉम्बैट सिस्टम, 4 मिसाइल सिस्टम, 27 इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन सिस्टम, 10 लाइफ प्रोटेक्शन आइटम शामिल थे. इसके अलावा 4 माइक्रोइलेक्ट्रिक डिवाइस, 28 नेवल सिस्टम, 16 न्यूक्लियर बायोलॉजिकल केमिकल इक्विपमेंट NBC लिस्ट का हिस्सा थे.
भारत ने क्या लक्ष्य तय किया है?
भारत में रक्षा के क्षेत्र में एक्सपोर्ट करने की नई नीति बनाई है. नई नीति के तहत अगले पांच सालों में डिफेंस एक्सपोर्ट के लिए 5 बिलियन डॉलर हासिल करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए रक्षा के क्षेत्र में 100 फीसदी तक FDI को मंजूरी दी है ताकि भारत में हथियारों के निर्माण को बढ़ाया मिल सके.