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ये जीत खास हैः 102 साल की दादी से हारा कोरोना, खुद बताया कैसे जीती जंग

भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने भीषण त्रासदी मचाई हुई है. दिल्ली हो या महाराष्ट्र, या फिर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल, हर तरफ हाहाकार मचा है. कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां एक 102 साल की एक बुजुर्ग दादी ने घर पर रहकर ही कोरोना को मात दे दी. दरअसल, यह मामला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का है, कोरोना से लड़ाई के बीच यहां से एक राहत भरी खबर सामने आई है. बांदा के अतर्रा कस्बे में 102 साल की एक बुजुर्ग दादी ने मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मसंयम की बदौलत घर में ही आइसोलेट रहकर कोरोना को हराने में कामयाबी हासिल की है.


दादी का इलाज पास के ही सरकारी CHC अस्पताल के डॉक्टर की निगरानी में चला. ये डॉक्टर दादी के नाती भी हैं. पिछले दिनों दादी समेत घर के सभी 12 सदस्य एक साथ कोरोना पॉजिटिव आए थे. बताया गया कि 102 वर्षीय शिवकन्या देवी में कोरोना के शुरुआती लक्षण आते ही कोरोना जांच कराई गई थी जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. उनके अलावा घर के बाकी 12 सदस्यों में भी कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद सभी घर में ही होम आइसोलेट हो गए.

डॉक्टर प्रसून पांडेय बताते हैं कि हमारे घर में दादी समेत 12 लोग एक साथ कोरोना पॉजिटिव आए थे, लेकिन धैर्य और संयम के साथ सरकार की जो गाइडलाइन थी उसका पालन किया. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में जितनी भी चीज़ें हैं उनके अनुसार सबका इलाज किया, काढ़ा, भाप का सहारा लिया. सबसे ज़्यादा चिंता दादी की थी जो 102 साल की हैं, ताऊ जी 70 साल के और चाचा जी 65 साल के हैं, हर दो घंटे में सभी का ऑक्सीजन चेक करना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण था.

वहीं पेशे से फार्मेसिस्ट उनके दूसरे नाती पीयूष पांडेय कहते हैं कि दादी के पैर की हड्डी भी फ़्रैक्चर है, पिछले चार साल से वह ज़्यादातर बिस्तर में ही रहती हैं इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी बल्कि अपनी मजबूत ताकत से हम सबको भी हौसला दिया है. कोरोना से 102 साल की उम्र में लड़ाई जीतने वाली बुजुर्ग दादी अपनी लड़खड़ाती जुबान में लोगों को समझाते हुए कहती हैं कि डॉक्टरों की बात मानो, मास्क पहनो और भगवान सब ठीक कर देगा. बता दें कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि अब सरकार ने 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र वाले सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने का ऐलान किया, जिसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू भी हो गया है.

लेकिन देश में तमाम सुविधाओं के अलावा वैक्सीन की भी किल्लत है, ऐसे में कई राज्य 1 मई से वैक्सीनेशन शुरू करने से इनकार कर चुके हैं. सबसे बड़ा सवाल ये ही खड़ा हो रहा है कि अगर देश में वैक्सीन मौजूद नहीं है, राज्यों के पास कोई स्टॉक नहीं है, तो फिर कैसे वैक्सीनेशन होगा. दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान समेत कई राज्यों ने अपने यहां 1 मई से वैक्सीनेशन का नया अभियान शुरू करने में असमर्थता जताई है. सिर्फ विपक्षी दलों के राज्य ही नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी शासित मध्य प्रदेश ने भी ऐसा ही किया है.

इन सब के बीच ऐसे मरीज जो घर पर रहकर कोरोना को मात दे रहे हैं वे अपनी ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. बांदा की इस दादी और इनके परिवार वालों ने संयम और नियम का पालन करते हुए ना सिर्फ कोरोना को मात दी बल्कि उदाहरण भी पेश किया. गौरतलब है कि भारत में अभी सिर्फ दो वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, ऐसे में यही कंपनियां सभी राज्यों को वैक्सीन दे रही हैं. रूस की स्पुतनिक को भी मंजूरी मिल गई है, एक मई को उसके भारत पहुंचने के भी आसार हैं. हालांकि रूस की स्पुतनिक वैक्सीन भले ही भारत पहुंच रही हो लेकिन वो राज्यों को कबतक मिलेगी और लोगों को कबतक लगेगी, ये साफ नहीं है.