वीआईपी उत्तर प्रदेश में अकेले अपने दम पर 165 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. बिहार में एनडीए में शामिल विकासशील इंडिया पार्टी पूरे दम ख़म के साथ चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने गठबंधन में शामिल किया तो ठीक वरना लडेगें ज़रूर, इसी फ़ार्मूले पर ‘सन ऑफ मल्लाह’ यूपी के तूफ़ानी चुनावी दौरे पर हैं. उनका इरादा राज्य के सभी 75 ज़िलों में रैली करने की है. वैसे वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी का फ़ोकस बिहार से सटे यूपी के पूर्वांचल पर है. 17 अक्टूबर से वे पूर्वांचल के दस ज़िलों का दौरा करेंगे, जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी शामिल है. वीआईपी के प्रवक्ता देव ज्योति ने बताया कि मुकेश सहनी 9 अक्टूबर से ही यूपी में चुनाव प्रचार पर हैं. अब आगे वे पूर्वांचल का दौरा करेंगे.
मल्लाह बिरादरी की अगुवाई करने वाले मुकेश सहनी के यूपी में सक्रिय होने से बीजेपी की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय निषाद पार्टी की चिंता बढ़ गई है. पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को हाल में ही बीजेपी ने एमएलसी भी बनाया है. उनके बेटे प्रवीण निषाद बीजेपी से लोकसभा के सांसद भी हैं. पिछले ही महीने केंद्रीय मंत्री और यूपी के बीजेपी प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने निषाद की पार्टी के साथ गठबंधन का एलान किया था. मछुआरों के वोटों को लेकर मुक़ाबला बिहार में बीजेपी की सहयोगी वीआईपी और यूपी में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी के बीच है.
निषादों के लिए आरक्षकों मुद्दा उठा कर मुकेश सहनी यूपी में अपने लिए संभावनाएँ तलाश रहे हैं. वे चाहते हैं कि मछुआरों को पिछड़े के बदले दलित कोटे से आरक्षण मिले. निषादों ने भगवान राम की नैया पार लगाई लेकिन आज निषादों के वंशजों की नैया मँझधार में फंसी है, इसी नारे के साथ सहनी यूपी में क़िस्मत आज़मा रहे हैं. वे कहते हैं कि योगी सरकार जब फूलन देवी के सम्मान नहीं दे पा रही है तो फिर निषाद समाज को क्या सम्मान देगी. बीहड़ों में डकैत रही पूर्व सांसद फूलन देवी इसी बिरादरी की थीं. वीआईपी यूपी के 18 ज़िलों में फूलन देवी की मूर्ति लगाना चाहती थी लेकिन योगी सरकार ने इसके लिए उन्हें इजाज़त नहीं दी. मुकेश सहनी नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं.
17 अक्टूबर : आज़मगढ़
18 अक्टूबर : प्रयागराज
19 अक्टूबर : ग़ाज़ीपुर
20 अक्टूबर : जौनपुर
23 अक्टूबर : मिर्ज़ापुर
24 अक्टूबर : अयोध्या
25 अक्टूबर : बलिया
28 अक्टूबर : वाराणसी
30 अक्टूबर : मुज़फ़्फ़रनगर
31 अक्टूबर : गोरखपुर
मुकेश सहनी लगातार यूपी के अलग अलग इलाक़ों का दौरा कर रहे हैं. उनकी पहली कोशिश मछुआरा जाति के लोगों को एकजुट करने की है. इसके लिए वे संगठन मज़बूत करने में जुटे हैं. हेलिकॉप्टर से जगह जगह जाकर वे रैलियां करते हैं और फिर उस इलाक़े के कार्यकर्ताओं के संग मीटिंग भी करते हैं. उनका दावा है कि यूपी में क़रीब 16 प्रतिशत लोग इसी समाज के हैं. बिहार में वीआईपी के चार विधायक हैं. यूपी में इस जाति के वोटरों को लेकर राजनैतिक दलों में संघर्ष तेज हो गया है. निषादों की राजनैतिक ताक़त को लोगों ने गोरखपुर लोकसभा के उप चुनाव में जाना. योगी आदित्यनाथ वहां से लगातार पाँच बार सांसद रहे. सीएम बनने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी. उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने निषाद पार्टी से समझौता कर संजय के बेटे प्रवीण को टिकट दिया. प्रवीण ने चुनाव में बीजेपी को हरा दिया. ये किसी चमत्कार से कम नहीं था. इस जीत के बाद यूपी ही नहीं पूरे देश ने निषाद पार्टी को जाना. बाद में संजय निषाद बीजेपी के साथ हो गए.