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यूक्रेन से बरेली लौटे स्टूडेंट्स ने सुनाई आपबीती, बोले- इंसानों के साथ पशुओं में भी बमबारी की दहशत

रूस-यूक्रेन  में जारी युद्ध के बीच बरेली के बहुत से छात्र सुरक्षित घर वापस लौट आए हैं. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं ने बरेली वापस आने पर आपबीती सुनाई. स्टूडेंट्स (Bareilly Students) ने बताया कि यूक्रेन में बमबारी से इंसानों में ही नहीं बल्कि पशुओं में भी दहशत है. यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने वतन वापसी पर बताया कि यूक्रेन पशु भी बमबारी से दहल गए हैं. इंसानों के साथ ही पशुओं में भी काफी दहशत है. उन्होंने बताया कि जब बम फूटता है तो पशु भी चौक और सहम जाते हैं. उन्होंने बताया कि यूक्रेन में पशुओं (Animals) के भी हालात बहुत खराब हो गए हैं. पशुओं को चारा नहीं मिल पा रहा है, वह भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं.

बता दें कि यूक्रेन में फंसे बरेली के कई छात्र अपने घर सुरक्षित वापस लौट (Bareilly Students Return Home) आए हैं. परिजनों से मिलने की खुशी उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही है. भारत सरकार की मदद से कई छात्र अपने साथियों के साथ ही ग्रुप में निकलकर बरेली पहुंचे. यहां से सभी छात्र अपने-अपने घरों को रवाना हो गए. युद्ध क्षेत्र से घर वापसी के बाद उनके चेहरों पर एक अलग ही सुकून देखा जा रहा है. बरेली की सना, जावेद, सेफ, और विलय यूक्रेन से सुरक्षित घर लौट आए हैं. बच्चों की सही सलामत वापसी पर परिजनों से खुशी जताते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी.

सता रही बच्चों की पढ़ाई की चिंता

बच्चों के परिजनों का कहना है कि इस संकट में उनके बच्चे घर वापस आ गए हैं इस बात को बताने में उनका कलेजा कांप रहा है. खबर के मुताबिक बरेली के इज्जत नगर के रहने वाले विशेष मेसी यूक्रेन के उजगिर्द शहर में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. बुलंदशहर के नरौरा के रहने वाले उनके बुआ के बेटे विलय भी साथ में पढ़ाई कर रहे थे. अब दोनों सुरक्षित घर वापस लौट आए हैं. बरेली के इज्जत नगर के दिव्यांश चौरसिया भी यूक्रेन से सुरक्षित घर लौट आए हैं. वह यूक्रेन से लवीव शहर में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. उन्होंने बताया कि वहां पर हालात सामान्य थे बाजार भी खुल रहे थे, लेकिन खाने-पीने की चीजें काफी महंगी हो गई थीं.

उन्होंने बताया कि यूक्रेन से हगरी बॉर्डर होते हुए दिव्यांश बरेली आए हैं. उनके पिता का कहना है कि उनका बेटा घर सुरक्षित आ गया बस यही काफी है. लेकिन उन्हें अब बेटे के आगे की पढ़ाई की चिंता सता रही है. जैसे ही दिव्यांश घर आए उनकी मां सुरभि ने आरती उतार कर बेटे का स्वागत किया. बेटे को गले से लगातर मां ने कहा कि बेटे की आगे की पढ़ाई को लेकर वह चिंतित हैं.

‘युद्ध क्षेत्र से निकलना बड़ी चुनौती’

यूक्रेन में पढ़ाई कर रही बरेली की मुस्कान हुसैन बताया कि उन्हें ऐसा लगने लगा था कि वह युद्ध क्षेत्र से निकल नहीं पाएंगी. मुस्कान ने बताया कि वह खारकीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं. बेटी को मुश्किल में फंसा देख बरेली में उनकी मां सनोबर हुसैन काफी परेशान थीं. मुस्कान के घर लौटते ही उनसे मिलने वालों का सिलसिला शुरू हो गया है. हर कोई उनके खारकीव में गुजरे दहशत के पलों के बारे में जानना चाहता है. मुस्कान ने बताया किवह बहुत डरी हुई थीं. बम के धमाके सुनते ही उके होश ही उड़ जाते थे. वह घर लौटकर परिवार से मिलने के लिए बहुत परेशान थीं.