अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के एलान के कुछ ही घंटे बाद संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा किया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर तालिबानी कब्जे से पहले सरकार विरोधी तत्वों ने पूरे अफगानिस्तान में कई बड़े हमले किए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 16 मई से 31 जुलाई के बीच अफगानिस्तान में 18 आत्मघाती हमले हुए थे, इनमें से 16 हमले ऐसे थे जिनमें कार में विस्फोटक रखकर अफगानी सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था।
इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी काबुल में 14 चुंबकीय विस्फोटक उपकरणों का उपयोग करते हुए 68 हमले किए गए। इतना ही नहीं देश के कई बड़े अधिकारी भी इस हमले में मारे गए। आतंकियों ने 30 मई को शहरी विकास और भूमि मंत्रालय के नीति और योजना निदेशक की काबुल में हत्या कर दी। वहीं तीन जून को उलेमा शूरा के डिप्टी हेरात में मारे गए। अदालत प्रांतीय अभियोजक और सरकार समर्थक धार्मिक स्कॉलर 12 जून को लोगर में मारे गए।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इराक में इस्लामिक स्टेट और लेवंत खुरासान (ISIL-K) द्वारा किए गए हमलों में भी वृद्धि हुई। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि जहां साल 2020 में 16 मई और 18 अगस्त के बीच केवल 15 हमले हुए थे वहीं इस साल इसी महीने के दौरान 88 हमले दर्ज किए। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के काबुल पर कब्जा करने से पहले, सरकार ने तालिबान का मुकाबला करने के लिए कई उपाय किए लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इन उपायों में कोर कमांडरों के प्रतिनिधिमंडल के साथ स्थानीय स्तर पर सुरक्षा जिम्मेदारियों का पुनर्गठन, हाल ही में भंग की गई।
अफगान स्थानीय पुलिस की भी घोषणा की गई और विशेष वायु संचालन बलों का विलय शामिल था। इसके अलावा एक मई से 23 प्रांतों में प्रांतीय पुलिस प्रमुखों के प्रतिस्थापन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय और प्रांतीय अफगान राष्ट्रीय सेना कमांडरों के कई प्रांतीय प्रमुखों का तबादला भी किया गया था। वहीं अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुटेरेस ने कहा कि दुनिया अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं पर भारी मन और गहरी बेचैनी के साथ देख रही है कि आगे क्या होगा।