सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी-21 में 1,456 सीटों को भरने के लिए स्पेशल स्ट्रे वेकैंसी राउंड की काउंसलिंग की मांग को खारिज कर दिया, जो अखिल भारतीय कोटा के लिए काउंसलिंग के एक दौर के आयोजन के बाद खाली रह गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने काउंसलिंग के एक स्पेशल राउंड की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल एजुकेशन की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसका सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर अब राहत दी जाती है, तो इसका मेडिकल एजुकेशन और हेल्थ पर असर पड़ सकता है। दरअसल, गुरुवार को जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने 1,456 सीटों को भरने के लिए स्पेशल स्ट्रे राउंड की काउंसलिंग कराने का अनुरोध करने वाली कई याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्पेशल स्ट्रे राउन्ड की काउंसलिंग की सीमा होनी चाहिए। शिक्षा तथा लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करके छात्रों को दाखिला नहीं दिया जा सकता है। बता दें कि ऑल इंडिया कोटा के लिए स्ट्रे राउंड की काउंसलिंग के बाद ये सीट खाली रह गई हैं।
इससे पहले, पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुए कहा, विशेष स्ट्रे राउंड की सीमा होनी चाहिए। कई सालों से सीटें खाली रह जाती हैं और यह कोई पहली बार नहीं है। पूरी कवायद की सीमा होनी चाहिए। आठ-नौ राउंड की काउंसलिंग के बाद महज कुछ सीट खाली रहने से क्या आप यह कह सकते हैं कि शिक्षा और लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करके तीन साल के पाठ्यक्रम में डेढ़ साल बाद आपकोदाखिला दिया जाएगा?
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह से कहा, इसे प्रतिकूल मुकदमा न मानें और तकनीकियों पर न अटके रहें। यह 1,400 मेडिकल सीटों का सवाल है। ये पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) सीट हैं। सरकार भी डॉक्टरों को चाहती है। सरकार पीजी के साथ डॉक्टरों को चाहती है। सरकार सुपर स्पेशलिटी डॉक्टरों को भी चाहती है। हमारे पास डॉक्टरों की कमी है…वे देश की सेवा कर सकते हैं। इन 1,400 सीट को कम संख्या में सीट नहीं कहा जा सकता है।
दरअसल, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने बुधवार को अदालत को बताया था कि उसने नीट-पीजी-21 के लिए चार चरणों की ऑनलाइन काउंसलिंग की है और वह विशेष काउंसलिंग कराकर 1,456 सीट को नहीं भर सकता है क्योंकि सॉफ्टवेयर बंद हो गया है। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परिषद की ओर से पेश वकील गौरव शर्मा ने न्यायालय को बताया कि नौ चरणों की काउंसिलिंग के बाद नीट-पीजी-21 के लिए काउंसिलिंग बंद हो गयी है। उन्होंने कहा कि हर साल यह समस्या आती है और 2019 में भी इस स्थिति पर विचार किया गया था।
नीट-पीजी 2021-22 परीक्षा में बैठने वाले और ऑल इंडिया कोटा (एआईक्यू) काउंसलिंग एवं राज्य कोटा काउंसलिंग के पहले और दूसरे चरण में भाग लेने वाले डॉक्टरों ने ये याचिकाएं दायर की हैं।