देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat UlemaeHind) ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं (Muslim women) का हिजाब (Hijab) धारण करना इस्लामी सिद्धांतों (Islamic Principles) एवं शरीयत (Sharia) के तहत अनिवार्य है तथा ऐसे में इसे रोकना भारतीय संविधान (Constitution of India) के अनुच्छेद 25 (Article 25) का उल्लंघन है.
मौलाना अरशद मदनी Maulana Arshad Madani) के मुताबिक, ‘धर्म के नाम पर किसी भी तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं हो सकती. धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों का हमें विरोध करना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘देश की वर्तमान स्थिति निस्संदेह निराशाजनक है, लेकिन हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इस देश में बड़ी संख्या में न्यायप्रिय लोगों हैं जो सांप्रदायिकता, धार्मिक अतिवाद और अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अन्याय के खि़लाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं.’
हिजाब से जुड़े विवाद का उल्लेख करते हुए मदनी ने कहा, “कुछ लोग गलत धारणा बना रहे हैं कि इस्लाम में हिजाब की अनिवार्यता नहीं है और कुरान में हिजाब का जिक्र नहीं है. कुरान और हदीस में हिजाब पर इस्लामी दिशानिर्देश हैं कि शरीयत के अनुसार हिजाब अनिवार्य है.”
उन्होंने जोर देकर कहा, “संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत अल्पसंख्यकों को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार हासिल है. मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने से रोकना अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है.”