हैदराबाद में भजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से कही गई पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने वाली बात पर भाजपा ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है। यूपी में मुसलमान वोट खींचने के लिए भाजपा ने अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया है। 16 और 18 अक्टूबर को लखनऊ में पसमांदा मुस्लिम सम्मेलन के जरिए भाजपा इसकी शुरुआत करने जा रही है। इस सम्मेलन के जरिए भाजपा नगर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए मुस्लिमों को साधेगी।
दो दिन लखनऊ में होने वाले मुस्लिम सम्मेलन की कमान भाजपा हल्पसंख्यक मोर्चा को सौंपी गई है। सम्मेलन में शामिल होने के लिए भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने राज्यसभा गुलाम अली खटाना को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया गया है। इसके अलावा इस सम्मेलन में यूपी सरकार के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, यूपी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री दानिश आजाद अंसारी, अशफाक सैफी के साथ पसमांदा समाज के मुस्लिम बुद्धिजीवी भी शामिल होंगे।
बतादें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुस्लिमों को जोड़ने की बात की थी। खासतौर पर पसमांदा मुस्लिमों पर फोकस करने का मंत्र पार्टी को दिया था और अल्पसंख्यक तबके को लुभाने के लिए स्नेह यात्रा निकालने की भी बात कही थी। अब भाजपा पसमांदा के अजेंडे पर चुनावी राजनीति में भी आगे बढ़ाने का प्लान बना रही है। इसकी शुरुआत भी यूपी से ही हो रही है, जो ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए अकसर चर्चा में रहा है। नवंबर या दिसंबर यूपी में नगर निगम के चुनाव होने वाले हैं और उसमें भाजपा अल्पसंख्यक वार्डों में बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है।
पीएम मोदी की सोच पर चली भाजपा
पीएम नरेंद्र मोदी की पसमांदा मुस्लिम समाज को मुख्यधारा में लाने की जो सोच है, उसको लेकर भाजपा ने आगे कदम बढ़ा दिया है। अभी यूपी में लगभग साढ़े चार करोड़ अल्पसंख्यक लाभार्थी हैं, इनको केन्द्र और प्रदेश सरकार की योजनाएं, आवास, गैस, अनाज आदि का लाभ दिया जा रहा है। भाजपा का इनको ही अपने साथ लाने का लक्ष्य है।
योगी सरकार में भाजपा ने शिया समुदाय की जगह पसमांदा मुस्लिम समाज से आने वाले चेहरे दानिश अंसारी, को राज्यमंत्री बनाकर दांव खेला है। इसके साथ सरकार और संगठन के दूसरे बड़े पदों पर भी पसमांदा मुस्लिमों को जगह दी गई है। राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन अशफाक सैफी, उर्दू एकेडमी के चेयरमैन कैफुल वरा और मदरसा बोर्ड के चेयरमैन इफ्तेखार जावेद इसी समाज से हैं। भाजपा अल्पसंयक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशरफ जमाल सिद्दीकी भी पसमांदा समाज से हैं।
निकाय चुनाव के बहाने 2024 पर भी है भाजपा की नजर
भाजपा ऐसे वार्ड और नगर पंचायतों में भी अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतार सकती है, जहां अधिकतर अल्पसंख्यक वोटर हैं। पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे ने इस मिशन पर काम शुरू कर दिया है। प्रदेश भर में मोर्चा की बैठकों का सिलसिला शुरू हो रहा है। माना जा रहा है कि ये तैयारी सिर्फ निकाय चुनाव की नहीं बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है। इसी मकसद भाजपा लगातार पसमांदा मुसलमानों की बात कर रही है ताकि अल्पसंख्यकों में सेंध लग सके और एक बड़े वर्ग को साधा जा सके।
पसमांदा समाज के दानिश अंसारी को बनाया है मंत्री
मुस्लिमों में 85 फीसदी आबादी पसमांदा वर्ग की है, जबकि 15 से 20 फीसदी ही अशराफ हैं। भाजपा का फोकस है कि इस वर्ग को टारगेट करने रणनीति बनाई जाए। इसी कोशिश के तहत उसने मोहसिन रजा को हटाकर इस बार पसमांदा मुस्लिम दानिश आजाद अंसारी को योगी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया है। भाजपा की कोशिश है कि अल्पसंख्यक वर्ग के वोटों से दूरी न रखी जाए और उसमें भी यथासंभव सेंध लगाई जाए। 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर अभी तक के आम चुनावों में बीजेपी ने यूपी में अल्पसंख्यक समाज से उम्मीदवारों को खड़ा नहीं किया है। लेकिन निकाय चुनाव में उसकी रणनीति बदल सकती है।
अल्पसंख्यक वोटरों के लिए अलग रणनीति बना रही है भाजपा
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली के हवाले से बताया गया है कि प्रदेश में 1200 से अधिक ऐसे वार्ड हैं, जहां अल्पसंख्यक वोटर बड़ी संख्या में हैं। इनमें भाजपा उम्मीदवार उतारेगी और अल्पसंख्यकों को ही प्राथमिकता दिए जाने का प्लान बन रहा है। इस बार ऐसी सभी सीटों पर भाजपा के निशान पर प्रत्याशी उतारने की योजना है।