पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने माफिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. मुख्तार अंसारी पर विधायक निधि के दुरुपयोग का आरोप है. वहीं, इसी मामले में हाईकोर्ट ने बहस पूरी होने के बाद 20 मई को फैसला सुरक्षित किया था. सोमवार (13 जून) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया है. मुख्तार अंसारी इस वक्त यूपी की बांदा जेल में बंद है.
बहरहाल, माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ विधायक निधि के दुरुपयोग के मामले में यूपी के मऊ के सराय लखंसी थाने में 24 अप्रैल 2021 को एफआईआर दर्ज हुई थी. यह मामला धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120 बी आईपीसी के तहत दर्ज किया गया था. वहीं, इस मामले में मुख्तार अंसारी के साथ चार अन्य आरोपी बनाए गए थे.
जानें क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, यूपी की मऊ विधानसभा सीट से विधायक रहते हुए मुख्तार अंसारी ने अपनी विधायक निधि से विद्यालय निर्माण के लिए प्रबंधक को 25 लाख रुपये दिए गए थे. आरोप है कि विद्यालय का निर्माण नहीं कराया गया. इस मामले में विद्यालय के प्रबंधक बैजनाथ यादव और विधायक प्रतिनिधि आनंद यादव भी आरोपी बनाए गए. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट से दोनों को जमानत मिल चुकी है.
मुख्तार के वकील ने दी थीं ये दलीलें
केस की सुनवाई के दौरान याची अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय कोर्ट में दलील दी थी कि मुख्तार अंसारी ने बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल के कमरे बनवाने के लिए 25 लाख रुपये विधायक निधि से स्वीकृत किए थे. उन्होंने कोर्ट में कहा कि विधायक होने के नाते जनहित कार्य के लिए धनराशि स्वीकृत की गई थी. जबकि धनराशि का सही उपयोग हो रहा है या नहीं, इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सीडीओ की होती है. आपराधिक षड्यंत्र का कोई साक्ष्य नहीं है. सिर्फ संभावना के आधार पर जिला प्रशासन ने मुकदमा दर्ज कराया है. आरोप है कि जिस जगह पर विद्यालय बनने के लिए धनराशि अवमुक्त की गई थी. उसके बजाए दूसरे गाटा संख्या पर विद्यालय का निर्माण किया गया है. इसके साथ वकील ने कोर्ट में आरोप लगाया कि पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को जानबूझकर टारगेट किया गया है.