मिर्जापुर वेब सीरीज लगातार विवादों में घिरती जा रही है। सीरीज को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। मिर्जापुर वेब सीरीज के प्रोड्यूसर्स फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी की गिरफ्तारी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज रोक लगा दी है। फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी ने अपने खिलाफ दायर एफआईआर को भी रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। ज्ञात हो कि इससे पहले 17 जनवरी को मिर्जापुर वेब सीरीज के निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मिर्जापुर कोतवाली देहात पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में मेकर्स पर आरोप था कि उन्होंने वेब सीरीज के जरिए जिले की छवि को खराब करने का काम किया है। मिर्जापुर की छवि को गलत अंदाज में पेश किया गया है। इसके अलावा इस शो से धार्मिक और सामाजिक भावनाएं आहत होने का आरोप भी लगाया गया था। इस एफआईआर को रद्द कराने के लिए ही मेकर्स ने हाई कोर्ट का अर्जी दिया था। अर्जी पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने मेकर्स की गिरफ्तारी पर रोक का आदेश दिया है।
दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि मिर्जापुर की एक समृद्ध विरासत है लेकिन 2018 में रिलीज हुई सीरीज में जिले को गुंडे और बदमाशों के शहर के तौर पर दिखाया गया था। सीरीज के संवादों में गाली-गलौज को जमकर प्रयोग हुआ है। मिर्जापुर सीरीज के निर्माता रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर, भौमिक गोंडालिया और अमेजन प्राइम वीडियो के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। निर्माताओं के खिलाफ सेक्शन 295-।, सेक्शन 504, 505 समेत आईटी एक्ट की धारा 67। के तहत केस दर्ज हुआ था। गौरतलब हो कि हाल ही में रिलीज हुई तांडव वेब सीरीज को लेकर दर्शकों के एक वर्ग ने आपत्ति जताई थी। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा था कि इस सीरीज में धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया है।
दरअसल इस सीरीज के पहले एपिसोड में भगवान राम और शिव पर टिप्पणियों वाला एक सीन है। इसे लेकर लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है। यह सीरीज भी विवादों की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। तांडव वेब सीरीज पर विवाद के बाद मिर्जापुर को लेकर नए सिरे से बवाल शुरू हो गया था। इसी सिलसिले में मिर्जापुर में मेकर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस सीरीज का पहला सीजन 2018 में रिलीज हुआ था और फिर 2020 में इसका दूसरा सीजन आया था।