जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के मुद्दे पर बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Senior Congress leader Jairam Ramesh) के बीच ट्वीट वार देखा गया. यहां रिजिजू ने रमेश के एक ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि ‘कश्मीर के भारत में विलय में देरी महाराजा हरि सिंह (Maharaja Hari Singh) ने नहीं जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) ने की थी।’ बता दें कि महाराजा हरि सिंह भारत की आजादी के समय जम्मू-कश्मीर के महाराजा थे।
आलो ट्विटर पर यह जुबानी जंग तब शुरू हुई जब कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कश्मीर के भारत में विलय को लेकर एक के बाद एक कई सिलसिलेवार ट्वीट किए। उन्होंने लिखा, ‘महाराजा हरि सिंह ने विलय में देरी की. वह स्वंतत्र देश के सपने देख रहे थे. लेकिन जब पाकिस्तान ने आक्रमण किया तो हरि सिंह भारत में शामिल हो गए. शेख अब्दुल्ला [जो बाद में जम्मू और कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए] ने नेहरू के साथ दोस्ती और उनके आदर तथा गांधी के प्रति सम्मान के कारण भारत में विलय का पूरी तरह से समर्थन किया।’
‘कश्मीर के पाकिस्तान के शामिल होने को लेकर सहमत थे सरदार पटेल’
इसके साथ ही एक अन्य ट्वीट में रमेश ने लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में शामिल होने को लेकर सरदार पटेल 13 सितंबर 1947 तक सोच रहे थे कि अगर विलय होता है तो हो जाए. लेकिन जब जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में विलय को मंजूरी दी तब उन्होंने अपना मन बदल दिया और तय किया कि जम्मू कश्मीर को भारत में ही रहना चाहिए।’
रमेश ने साथ ही कहा, ‘राजमोहन गांधी ने सरदार पटेल की जो जीवनी लिखी है उसमें ये सारे तथ्य हैं. जम्मू-कश्मीर में पीएम के नए आदमी (गुलाम नबी आजाद) को भी यह पता है. महाराजा हरि सिंह ने विलय पर रोक लगा दी थी. आज़ादी के सपने थे, लेकिन जब पाकिस्तान ने आक्रमण किया तो हरि सिंह ने भारत में विलय को मंजूरी दी।’
पीएम मोदी ने गुजरात की रैली में किया था जिक्र
जयराम रमेश ने यह ट्वीट ऐसे समय किया, जब एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक रैली के दौरान जवाहरलाल नेहरू पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने अन्य रियासतों के विलय से जुड़े मुद्दों को चतुराई से हल किया, लेकिन कश्मीर का जिम्मा ‘एक अन्य व्यक्ति’ के पास था और वह अनसुलझा ही रह गया।
वहीं जयराम रमेश के इस ट्वीट पर पलटवार करते हए रिजिजू ने सिलसिलेवार ट्वीट किए. बीजेपी सांसद ने कहा, ‘यह ‘ऐतिहासिक झूठ’ कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के सवाल को टाल दिया था, जवाहरलाल नेहरू की संदिग्ध भूमिका की रक्षा के लिए बहुत लंबे समय तक चला है।’
रिजिजू ने लोकसभा में नेहरू के 24 जुलाई, 1952 के भाषण का हवाला देते हुए दावा किया कि महाराजा हरि सिंह ने पहली बार भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय के लिए आजादी से एक महीने पहले ही जुलाई 1947 में नेहरू से संपर्क किया था, और यह नेहरू थे जिन्होंने महाराजा की बात को अस्वीकार कर दिया.
कानून मंत्री ने कहा, ‘और जयराम रमेश, न केवल नेहरू ने जुलाई 1947 में महाराजा हरि सिंह के विलय के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, बल्कि नेहरू अक्टूबर 1947 में भी टालमटोल कर रहे थे. यह तब था जब पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर के कई किलोमीटर भीतर पहुंच गए थे … कश्मीर को एकमात्र अपवाद क्यों बनाया गया था नेहरू द्वारा … सच तो यह है कि भारत अभी भी नेहरू की गलतियों की कीमत चुका रहा है।’