देवों के देव महादेव(Mahadev) की पूजा में अक्सर उन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो किसी अन्य देवता की पूजा में उपयोग में नहीं लायी जातीं जैसे भांग, धतूरा, आक के फूल, बेल पत्र आदि. आमतौर पर इनमें से तमाम चीजों को लोग जहरीला और व्यर्थ मानते हैं और दैनिक जीवन में इनका कोई उपयोग नहीं होता. लेकिन महादेव इस संसार में मौजूद हर चीज को चाहे वो अमृत के समान हों, या विष के समान, दोनों को समानता के साथ स्वीकार करते हैं. इसका संदेश सिर्फ इतना है कि प्रकृति में जो भी जो भी चीज मौजूद है, उन सभी के कोई न कोई मायने हैं. कोई भी चीज व्यर्थ नहीं है. महादेव की पूजा (Mahadev Puja) में अर्पित होने वाली ज्यादातर सभी चीजें औषधीय गुणों से भरपूर हैं. महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे उन चीजों के औषधीय गुणों के बारे में जिन्हें आप अक्सर विषैला या नशीला मानते हैं.
धतूरा
धतूरा गोल आकार का कांटेदार फल होता है. आमतौर पर इसे जहरीला फल माना जाता है, इसलिए इसका इस्तेमाल घरों में नहीं होता. लेकिन वास्तव में धतूरा बहुत काम की चीज है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल तमाम समस्याओं को ठीक करने में औषधि के रूप में किया जाता है. ये यह पुराने बुखार, जोड़ों के दर्द की समस्या में लाभकारी है, साथ ही विष का प्रभाव समाप्त करने में मददगार है. मान्यता है कि समुद्रमंथन के दौरान महादेव ने जो विषपान किया था, उस विष के प्रभाव को दूर करने के लिए धतूरे का इस्तेमाल किया गया था, इसलिए उन्हें धतूरा बेहद प्रिय है.
आक के फूल
आक के फूल को मदार के फूल भी कहा जाता है. आमतौर पर महादेव को सफेद मदार के फूल चढ़ाए जाते हैं. इन फूलों का इस्तेमाल अन्य किसी पूजा में होते आपने शायद ही देखा हो. आक के पौधे को जंगली पौधा माना जाता है और तमाम लोग मानते हैं कि इसमें जहर होता है. लेकिन आक का फूल जलोदर, पीलिया, हैजा, कालरा और पेट के तमाम रोगों के निदान में मददगार होता है. इसे भी आयुर्वेद में औषधि माना गया है. लेकिन इसका इस्तेमाल किसी विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए.
भांग
महादेव को भांग भी अति प्रिय है. महाशिवरात्रि के दिन तो खासतौर पर भांग की ठंडाई बनाई जाती है. लेकिन भांग को नशा माना जाता है. लोगों की धारणा है कि महादेव भांग के नशे में मदमस्त रहते हैं, जोकि पूरी तरह से गलत है. महादेव योगी हैं और सभी चीजों को समान मानते हैं. भांग एक घास और झाड़ी नुमा पौधा है. भांग अनिद्रा, तनाव, सिरदर्द, स्किन से जुड़ी तमाम समस्याओं को दूर करने में उपयोगी होती है, लेकिन किसी भी समस्या में इसका इस्तेमाल विशेषज्ञ की सलाह से सीमित मात्रा में करना चाहिए. भांग की अधिक मात्रा निश्चेतक प्रभाव पैदा करता है.
बेल पत्र
बेल पत्र को जहरीला तो नहीं माना जाता, लेकिन बेल पत्र का इस्तेमाल महादेव की पूजा के अलावा किसी अन्य देव की पूजा में नहीं होता. कहा जाता है कि बेल पत्र चबाकर ही महादेव के शरीर में हलाहल की जलन शांत हुई थी. वास्तव में बेल पत्र में भी कई औषधीय गुण होते हैं. बेल पत्र की तासीर ठंडी होती है और इसका इस्तेमाल डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्रॉल और दिल से संबंधित बीमारियों से लेकर पाचन तंत्र मजबूत करने के लिए भी किया जाता है.