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महंगाई: खाद्य तेल की कीमतें घटाने पर बैठक आज

खाद्य तेल की खुदरा कीमतें घटाने पर चर्चा के लिए खाद्य मंत्रालय ने बुधवार को तेल कंपनियों की बैठक बुलाई है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा, वैश्विक बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आई है। बैठक में इन कंपनियों से इसका लाभ ग्राहकों को देने के लिए कहा जाएगा। इधर, राजस्व सचिव तरुण बजाज ने मंगलवार को कहा कि जीएसटी के तहत छूट वाले उत्पादों की संख्या घटाने की जरूरत है।

सेवा क्षेत्र के लिए ऐसा करना जरूरी है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, सरकार की कोशिश दो-तीन वर्षों में जीएसटी प्रणाली में मौजूद खामियां दूर करने की है। दरों को युक्तिसंगत बनाने में मंत्री समूह लगा हुआ है। सीआईआई अध्यक्ष संजीव बजाज ने कहा, ढांचे को सरल बनाने के लिए बिजली और ईंधन को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए।

अस्पताल कमरों पर जीएसटी से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर नहीं
बजाज ने 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले गैर-आईसीयू कमरों पर जीएसटी लगाए जाने का बचाव करते हुए कहा, इससे आबादी के बड़े हिस्से को किफायती दर पर स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, मैं यह भी जानना चाहूंगा कि देशभर के अस्पतालों में कितने कमरों का किराया इतना है। मुझे लगता है कि यह संख्या बहुत कम होगी। ऐसे में अगर मैं कमरे के किराये पर 5,000 रुपये खर्च कर सकता हूं तो 250 रुपये जीएसटी भी दे सकता हूं।

पेट्रोल और डीजल में एथेनॉल पर नहीं लगेगी एक्साइज ड्यूटी
पेट्रोल और डीजल जल्द ही सस्ता हो सकता है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना में कहा कि जिस भी पेट्रोल में 12 से 15 फीसदी और डीजल में 20 फीसदी एथेनॉल की मिलावट होती है, उस 12 लीटर पर एक्साइज ड्यूटी नहीं लगेगी।

इसका मतलब है कि अगर 100 लीटर पेट्रोल में 12 लीटर एथेनॉल मिलाया गया है तो उस पर कोई एक्साइज ड्यूटी नहीं लगेगी। जबकि 88 लीटर पर ड्यूटी लगेगी। इसी के साथ एक अक्तूबर से पेट्रोल और डीजल पर ग्रीन टैक्स भी नहीं लगेगा। इससे कंपनियों पर कर का बोझ कम हो जाएगा।

बिना करार भी राज्यों को बिजली बेच सकेंगे संयंत्र
सरकार ने आयातित कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों को बची बिजली उन राज्यों को भी बेचने की मंजूरी दे दी है, जिनके साथ उनका करार नहीं है। ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि बिजली की मांग में तेजी के बीच गैर-परिचालन आयातित कोयला आधारित संयंत्रों को उत्पादन शुरू करना होगा। करार वाले राज्यों के नहीं खरीदने पर बाकी बिजली किसी भी राज्य को बेची जा सकती है। नियम अक्तूबर तक लागू है।