प्रसिद्ध मलयालम लेखक एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित एम. टी. वासुदेवन नायर का बुधवार को निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रसिद्ध मलयालम लेखक एम. टी. वासुदेवन नायर के निधन पर बृहस्पतिवार को शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से साहित्य जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है।
मुर्मू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि वासुदेवन नायर के निधन से साहित्य की दुनिया में अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने वासुदेवन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, ‘‘उनके लेखन से ग्रामीण भारत जीवंत हो उठा।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘उन्हें प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया और उन्होंने फिल्मों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। मैं उनके परिवार के सदस्यों और बड़ी संख्या में उनके पाठकों एवं प्रशंसकों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती हूं।’’ भाषा सिम्मी सुरभि
अस्पताल के एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘एमटी का निधन हो गया।’’ बीमारी के कारण उनका एक महीने से अधिक समय से इलाज किया जा रहा था। उन्हें 16 दिसंबर को सांस संबंधी जटिलताओं के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका बुधवार रात 10 बजे यहां के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञों और गहन देखभाल विशेषज्ञों सहित चिकित्सकों की एक टीम उनका इलाज कर रही थी। उनका अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार को शाम पांच बजे मावूर रोड श्मशान घाट पर होगा। ‘एमटी’ के नाम से लोकप्रिय नायर ने सात दशक के करियर में नौ उपन्यास, 19 लघु कथा संग्रह, 54 पटकथाएं लिखीं। उन्होंने छह फिल्मों का निर्देशन भी किया।