बहुत जल्द ही सावन का महीना लगने वाला है और एमपी के छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित मतंगेश्वर महादेव ऐसा मंदिर है, जहां बहुत पहले से रोजाना पूजा-अर्चना हो रही है। भक्तों में मान्यता एक महान तीर्थ के रूप में है। इतिहासकारों ने बताया यह मंदिर नौवीं शताब्दी में चंदेल वंश के राजाओं ने बनवाया था।
इस मंदिर का गर्भगृह चौरस है और प्रवेश द्वार पूर्व की तरफ है। पूजा वेदिका ऊंचाई पर बनाई गई है, इसलिए मंदिर में प्रवेश के लिए लगभग 22 ऊंची सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। वहीं गर्भगृह से पहले गणेश प्रतिमा के दर्शन भक्तों को होते हैं। इस गर्भगृह में काफी बड़ा शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर में कार्तिकेय भगवान और मां पार्वती भी स्थापित हैं।
ऐसा माना जाता है कि करीब 19 फुट ऊंचा यह शिवलिंग जमीन के भीतर 9 फुट और ऊपर की तरफ 10 फुट का है और मरकत नामक मणि के ऊपर बना है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की लंबाई हर साल शरद पूर्णिमा को बढ़ जाती है और यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं इसमें दबाई गई मणि के असर से ही पूरी होती हैं।
मान्यता है कि मंदिर जहां स्थित है, उसी स्थान पर प्राचीन काल में शिव-पार्वती शादी हुई थी। मणि को लेकर ये कथा है कि शिव जी के पास मरकत मणि थी, जिसे उन्होंने सत्यनिष्ठ युधिष्ठिर को खुश होकर प्रदान किया। युधिष्ठिर ने संन्यास लेने के बाद इस मणि को ऋषि मतंग को दिया। इसके बाद मतंग ऋषि ने इसे राजा हर्षवर्मन को दे दिया। इस मंदिर का नाम मतंग ऋषि के नाम पर ही पड़ा। एक अन्य कथा के मुताबिक, शिव भक्त चंदेल राजा चंद्रदेव ने राज्य की सुरक्षा के लिए मणि के ऊपर इस शिवलिंग को बनवाया और यहां नियमित रूप से पूजा-पाठ की व्यवस्था की। इस प्रकार, महाभारत काल से भी पहले का यह मंदिर माना जाता है। कहा जाता
कि इस मणि के असर से यह शिवलिंग ठंडा रहता है।
यह मंदिर सुबह पांच बजे से रात 8.30 बजे तक खुला रहता है। 5 बजे शिव अभिषेक होता है। विशेषकर सावन और कार्तिक मास और सोमवार और शिवरात्रि के समयमतंगेश्वर महादेव में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। शिवरात्रि के मौके पर यहां तीन दिनों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
कैसे पहुंचें : लगभग एअरपोर्ट खजुराहो 5.3 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर है। खजुराहो का रेलवे स्टेशन मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर है। दोनों जगहों से मंदिर के लिए टैक्सी आदि की सुविधा है।