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भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू, किसी को पूजा का तरीका बदलने की जरूरत नहीं: भागवत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सरसंघचालक मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने मंगलवार को कहा कि भारत (India) में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। किसी को भी पूजा करने के तरीके को बदलने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सब रास्ते एक ही जगह जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए (DNA of Indians) एक है। प्राचीन अखंड भारत (ancient unbroken India) का जो भूभाग था उसमें रहने वाले सभी लोगों के सबके पूर्वज समान हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें अपनी अपनी पूजा पद्धति पर कायम रखना सिखाया है। वह छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मुख्यालय अंबिकापुर में स्वयंसेवकों के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भागवत ने कहा कि विविधता में एकता भारत की सदियों पुरानी विशेषता है। एक मात्र हिंदुत्व नाम का विचार दुनिया में ऐसा है जो सभी को साथ लेने में विश्वास करता है। हम 1925 से कह रहे हैं कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है। हिंदुत्व ने सब विविधताओं को हजारों वर्षों से भारत की भूमि में एक साथ चलाया है, यह सत्य है और इस सत्य को बोलना है और डंके की चोट पर बोलना है। जो भारत को अपनी माता मानता है, मातृभूमि मानता है, जो भारत में विविधता में एकता वाली संस्कृति को जीना चाहता है, उसके लिए प्रयास करता है, वह पूजा किसी भी तरह से करे, भाषा कोई भी बोले, खानपान, रीति-रिवाज कोई भी हो, वह​ हिंदू है।

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि हम सभी के पूर्वज समान है। विज्ञान डीएनए मैपिंग के बाद कहता है कि 40 हजार साल पहले जो अखंड भारत था, काबुल के पश्चिम से छिंदविन नदी के पूरब तक और तिब्बत की उत्तर की ढ़लान से श्रीलंका के दक्षिण तक, इसमें रहने वाले मानव समूह का डीएनए एक समान है। 40 हजार साल पहले से हमारे पूर्वज समान है। हमको उन पूर्वजों ने यही सिखाया कि अपनी अपनी पूजा पद्धति पर पक्के रहना चाहिए। उन्होंने हमें सिखाया कि अपनी भाषा का विकास करो। हमें अपने अपने खान पान रीति रिवाज पर पक्के रहना चाहिए।

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम हिंदुत्व के विचार के अनुसार व्यक्ति और राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना और लोगों में एकता को बढ़ावा देना है। सभी के विश्वास और संस्कारों का सम्मान करें, सबको स्वीकार करें और अपने रास्ते पर चलें। अपनी इच्छा पूरी करे, लेकिन इतना स्वार्थी मत बनें कि दूसरों की भलाई का ध्यान न रहे। हमारी संस्कृति हमें जोड़ती है। हम आपस में कितना भी लड़ लें, संकट के समय हम एक हो जाते हैं। जब देश पर किसी तरह की मुसीबत आती है तो हम साथ मिलकर लड़ते हैं। कोरोना महामारी के दौरान इससे निपटने के लिए पूरा देश एक होकर खड़ा हो गया। संघ का मकसद सत्य के मार्ग पर चलते हुए लोगों को जोड़ना और समाज को मजबूत बनाना है।

संघ प्रमुख ने कहा कि वेदों के काल से लोग अलग अलग पूजा पद्धतियों, धर्मों और मतों में विश्वास करते रहे हैं। संघ जैसा आज कोई दूसरा नहीं है, संघ को जानना है तो किसी बात से तुलना करके नहीं जान सकते हैं। संघ का काम समझना है, तो तुलना करके इसे नहीं समझ सकते हैं, गलतफहमी होने की संभावना होती है। संघ के बारे में पढ़ लिखकर अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है। संघ को समझना है तो संघ में आना चाहिए, इससे आप संघ को भीतर से देख सकते हैं, खुद के अनुभव से संघ समझ में आता है। संघ का उद्देश्य लोकप्रियता हासिल करना नहीं है।