लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर अभी तनाव है. बताया जा रहा है कि गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 पर स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है. मेजर जनरल-स्तरीय वार्ता ने कल मुश्किल से चीजों को नियंत्रण में रखा है. तनावपूर्ण माहौल के बीच दोनों देशों के बीच हुई सैन्य अधिकारियों की मीटिंग के बाद मामला थोड़ा शांत है.
भारतीय सेना के जवानों के गुस्से की सबसे बड़ी वजह है कि कुछ शहीदों के शव क्षत-विक्षत हालात में मिले हैं. यह बटालियन में गुस्से को भड़काने के प्रमुख कारणों में से एक है. लेह कॉर्प्स कमांडर हर घंटे 3 डी कमांडर के साथ संपर्क में हैं और पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. बताया जा रहा है कि चीन के साथ एक दौर की और बातचीत हो सकती है.
अगर जरूरी समझा गया तो लेफ्टिनेंट जनरल स्तर या सेना कमांडर स्तर पर एक और दौर की बातचीत हो सकती है. अभी सभी विकल्पों पर चर्चा की जा रही है, चीन ने अधिक वार्ता प्रस्तावित की है, लेकिन वार्ता का स्तर अभी साफ नहीं है. फिलहाल, सेना की ओर से लद्दाख के पैंगोंग त्सो में हालत को सामान्य की कोशिश की जा रही है.
गौरतलब है कि लद्दाख के पैंगोंग त्सो में भारत और चीन की सेनाएं 3 बार आमने-सामने आ चुकी हैं. फेस ऑफ की पहली घटना 5/6 जू की रात को हुई थी. इसके बाद 13 मई और 29 मई को दोनों देशों के जवान भिड़ गए थे. इसका वीडियो भी वायरल हुआ था. सेना की पहली प्राथमिकता इस प्वाइंट पर बातचीत से विवाद सुलझाने की है.
इस बीच भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के साथ अपने सभी प्रमुख फ्रंट-लाइन ठिकानों पर अतिरिक्त जवानों को रवाना कर दिया है. वायुसेना ने पहले से ही अपने सभी फॉरवर्ड लाइन बेस में एलएसी और बॉर्डर एरिया पर नजर रखने के लिए अलर्ट स्तर बढ़ा दिया है.
3500 किलोमीटर की चीन सीमा पर भारतीय सेना की कड़ी नजर है. तीनों सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखा गया है. चीनी नौसेना को कड़ा संदेश भेजने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना भी अपनी तैनाती बढ़ा रही है. गौरतलब है कि गलवान घाटी में समझौते के उलट जब चीनी सैनिकों ने वापस जाने से इनकार कर दिया तो दोनों देशों के सैनिकों में संघर्ष हुआ.
इस हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए, वहीं चीन को भी भारी नुकसान हुआ. चीनी सेना के कमांडिंग अफसर की मौत हो गई है, जबकि 40 से अधिक चीनी सैनिकों के मारे जाने या गंभीर रूप से हताहत होने के दावे किए जा रहे हैं, जिसकी पुष्टि चीनी सेना की ओर से नहीं की गई है.