देश भर में चर्चित हुए भय्यू महाराज आत्महत्या से जुड़े मामले (Bhaiyyu Maharaj suicide case) में आखिर इंदौर कोर्ट (Indore session court) ने शुक्रवार (28 जनवरी) को फैसला सुना दिया. कोर्ट ने आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज के मुख्य सेवादार विनायक दुधाले, ड्राइवर शरद देशमुख और केयरटेकर पलक पुराणिक को आत्महत्या के लिए प्रवृत्त करने का दोषी पाया है और इन तीनों को 6 साल की कैद की सजा (servant, driver and caretaker sentenced for 6 years) सुनाई है. इन्हें आईपीसी की धारा 306 के तहत सजा सुनाई गई है. 12 जून 2018 के दिन भय्यू महाराज ने सर्विस रिवॉल्वर से अपने सर पर गोली मार ली थी. कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया है कि सेवकों द्वारा पैसों के लिए ब्लैकमेल किए जाने की वजह से ही भय्यू महाराज ने आत्महत्या कर ली थी.
भय्यू महाराज की आत्महत्या के बाद छह महीने में पुलिस ने तीन आरोपियों को अरेस्ट कर लिया था. इसके बाद यह मामला सत्र न्यायालय में साढ़े तीन साल तक चला. 32 गवाहों ने अपने बयान दर्ज करवाए. इसके बाद न्यायमूर्ति धर्मेंद्र सोनी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भय्यू महाराज ने अपने जीवन में परिवार से भी ज्यादा अहमियत अपने सेवकों को दी. उन पर विश्वास किया. अपने आश्रम के कामकाज की उन पर जिम्मेदारी सौंपी. उन्हीं सेवकों ने भय्यू महाराज को धोखा दिया और पैसों के लिए उन्हें ब्लैकमेल करने लगे.
शुरू में दो शादियों की वजह से पारिवारिक कलह को कारण समझा गया
शुरुआत में भय्यू महाराज की आत्महत्या का कारण पारिवारिक कलह को समझा गया. उनकी दूसरी पत्नी आयुषी और बेटी कुहू के बीच अनबन की खबरें सामने आई थीं. उनकी बेटी पुणे में रह कर पढ़ाई कर रही थी. आत्महत्या के कुछ महीने पहले ही उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक कामों से निवृत्ति लेने की इच्छा जताई थी. लेकिन आत्महत्या के छह महीने के अंदर पुलिस ने जिन तीन लोगों को अरेस्ट किया उनमें एक मुख्य सेवादार, ड्राइवर और एक महिला थी. पलक नाम की इस महिला द्वारा भय्यू महाराज से रिश्ते की बात सामने आई और फिर उसका खुलासा करने का डर दिखा कर ब्लैकेमेलिंग की बात सामने आई. आरोप है कि पलक ने भय्यू महाराज से लाखों रुपए ऐंठे. पलक की इस ब्लैकमेलिंग में सेवादार विनायक और ड्राइवर शरद शामिल थे.