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ब्रिटिश कंपनियों के साथ मिलकर अडानी समूह बनाएगा सुरक्षा उपकरण के साथ हथियार

गुजरात (Gujarat) के दौरे पर पहुंचे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British Prime Minister Boris Johnson) ने राज्य के एक प्रमुख अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अदानी (Gautam Adani, chairman of the flagship Adani Group) से मुलाकात की। अडानी समूह ने ब्रिटिश कंपनियों के साथ डिफेंस और एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी सेक्टर में काम करने और गुजरात को रक्षा क्षेत्र का एक निर्यात का केंद्र बनाने में दिलचस्पी दिखायी गई।

गुरुवार को अडानी शांतिग्राम में एक घंटे तक चली मुलाकात के बाद गौतम अडानी ने ट्वीट कर बताया कि अडानी ग्रुप ब्रिटिश कंपनियों के साथ डिफेंस और एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी सेक्टर में काम करेगा। साथ ही अक्षय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और नई ऊर्जा विकास के एजेंडा पर भी ध्यान दिया जाएगा। अध्यक्ष गौतम अडानी ने इस साल जून में लंदन में होने वाले भारत-यूके जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्रिटिश के प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है।
गुरुवार की बैठक में अडानी ने ब्रिटिश सरकार की सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्ति, केवेनिंग स्कॉलरशिप के माध्यम से भारत के युवाओं के लिए शैक्षणिक सुविधा के लिए एक कार्यक्रम की भी घोषणा की। अडानी समूह ने भारतीय स्नातक छात्रों को हर साल पांच छात्रवृत्तियों के माध्यम से ब्रिटन में मास्टर डिग्री के लिए अध्ययन करने के लिए दो लाख पाउंड (लगभग 2 करोड़ रुपये) प्रदान करने का ऐलान किया।

अडानी समूह ने एक बयान जारी कर बताया कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री और समूह के अध्यक्ष गौतम के बीच आज की बैठक के एजेंडे में रक्षा क्षेत्र में सहयोग का मुद्दा सबसे ऊपर था। दोनों पक्ष आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में अडानी समूह और प्रसिद्ध ब्रिटिश कंपनियों के एयरोस्पेस और डिजाइन प्रौद्योगिकी में सहयोग करने की संभावना को तलाशेंगे। अडानी ने भारत में तीन सौ से अधिक विभिन्न श्रेणियों के रक्षा उपकरणों को लेकर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की मंशा जाहिर की है।

अडानी ग्रुप ने कहा कि भारत 2030 तक भारतीय सशस्त्र बलों को अपग्रेड करने के लिए निर्धारित तीन सौ बिलियन के निवेश के साथ, अडानी ग्रुप रडार, जासूसी, मानव रहित और रोटरी प्लेटफॉर्म के साथ हाइपरसोनिक इंजन सहित कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अडानी का लक्ष्य प्रौद्योगिकी के वास्तविक हस्तांतरण के आधार पर निजी क्षेत्र में विश्वस्तरीय डिजाइन और विनिर्माण के माध्यम से भारत को रक्षा क्षेत्र के लिए एक निर्यात केंद्र में बदलना है।