टोक्यो ओलिंपिक में सुपरसंडे की शुरुआत भारत के लिए कुछ अच्छी नहीं रही. बॉक्सिंग में आज भारत मेडल की उम्मीद कर रहा था क्योंकि हेवीवेट कैटेगरी में उसके मुक्केबाज सतीश कुमार अपना क्वार्टर फाइनल मैच खेलने के लिए रिंग में थे. अगर वो ये मैच जीतते तो मेडल पक्का कर सकते थे. लेकिन, भारतीय बॉक्सर सतीश का सफर न सिर्फ इस मुकाबले में हार के साथ थम गया बल्कि मेडल की एक उम्मीद भी टूट गई. क्वार्टर फाइनल मैच में सतीश कुमार को मौजूदा वर्ल्ड और एशियाई चैंपियन मुक्केबाज उजबेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव ने 5:0 से हराया.
भारत के बॉक्सर सतीश कुमार का ये पहला ओलिंपिक था. अपने डेब्यू ओलिंपिक में पहला मुकाबला उन्होंने आसानी से जीता था. प्री-क्वार्टर फाइनल में सतीश ने जमैका के बॉक्सर रिकार्डो ब्राउन को 4-1 से मात दी थी. हालांकि, उस फाइट के दौरान उनकी ठुड्डी और दाईं आंख पर गहरी चोट आई थी, जिसके बाद उन्हें 7 टांके पड़े थे. लेकिन इस इंजरी की परवाह किए बगैर वो क्वार्टर फाइनल खेलने रिंग में उतरे थे.
0:5 से क्वार्टर फाइनल में हारे सतीश कुमार
सतीश को क्वार्टर फाइनल में 5:0 से हराकर उज्बेकिस्तान के बॉक्सर ने अपना मेडल पक्का कर लिया है. इससे पहले प्री-क्वार्टर फाइनल का अपना मैच भी उन्होंने अजरबैजान के मोहम्मद अब्दुल्लायेव के खिलाफ एकतरफा जीता था. क्वार्टर फाइनल मुकाबले के हर राउंड में उज्बेकिस्तान के बॉक्सर का पलड़ा भारतीय मुक्केबाज पर भारी रहा. हालांकि, अपना पहला ओलिंपिक खेल रहे सतीश कुमार ने उज्बेक मुक्केबाज के खिलाफ जीत के लिए संघर्ष खूब किया. उनके इस संघर्ष की दाद इसलिए भी देनी होगी, क्योंकि वो इंजरी के बावजूद रिंग में उतरे थे.
9 में से एक बॉक्सर का पंच ही मेडल पर लगा
टोक्यो ओलिंपिक में भारत के कुल 9 मुक्केबाजों ने शिरकत किया था. लेकिन पदक पर मुक्का सिर्फ एक बॉक्सर का ही लगा. और ये पंच जड़ा है महिलाओं के वेल्टरवेट कैटेगरी में लवलीना ने. सतीश कुमार हेवीवेट कैटेगरी में ओलिंपिक की रिंग में उतरने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज हैं.