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बेहद रोचक रहा सुखविंदर सिंह सुक्खू का राजनीतिक जीवन, जानिए पार्षद से लेकर सीएम तक का सफर

नगर निगम शिमला से बतौर पार्षद चुनावी राजनीति की शुरुआत करने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे रहे। बड़ी माथापच्ची के बाद आखिरकार सुक्खू के सीएम बनने का रास्ता साफ हो गया। क्लास के सीआर से लेकर मुख्यमंत्री के पद की रेस तक कांग्रेसी दिग्गज सुखविंदर सिंह सुक्खू का राजनीतिक सफर बेहद रोचक रहा। नादौन से कांग्रेसी विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से स्नातकोत्तर और एलएलबी की पढ़ाई की है। सुखविंद्र सिंह सुक्खू इस बार चैथी बार विधायक बने हैं। सुक्खू के सीनियर नेता होने के बाबजूद भी जब उन्हें तत्तकालीन मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह की सरकार में मंत्री की बजाए सीपीएस बनाए जाने की ऑफर मिली तो उन्होंने ठुकरा दी और विधायक बन कर ही जनता की सेवा की। समय का फेर देखिए सुक्खू मंत्री की बजाए सीधे मुख्यमंत्री बने। सुक्खू एक साधारण परिवार से संबध रखते हैं उनके पिता रसील सिंह एचआरटीसी में चालक थे। सुक्खू एक बेदाग नेता हैं जिन पर किसी भी प्रकार को कोई आरोप नहीं है। उन्हें इस मंजिल तक पहुंचाने मेें उनकी वर्किंग, मेहनत माता का आशीर्वाद व परिवार का साथ व प्यार काफी सहयोगी रहा।

सुक्खू की तेजतर्रार और आक्रमक नेता की पहचान
जन्म: सुक्खू एक तेजतर्रार, आक्रमक और जुझारू नेता के तौर पर जाने जाते हैं। उनका जन्म 26 मार्च 1964 को मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रसील सिंह शिमला में सरकारी कर्मचारी थे। उनकी पत्नी का नाम कमलेश ठाकुर और दो बेटियां हैं। सुक्खू हमीरपुर जिला के नादौन उपमंडल के बटराण के रहने वाले हैं।

शिक्षा: सुखविंदर सिंह सुक्खू स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने वर्ष 1991 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से एमए और एलएलबी की पढ़ाई की है।

छात्र राजनीति से तप कर निकले
सुखविंद्र सिंह सुक्खू साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और उनका राजनीतिक जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। छात्र राजनीति से तप कर निकले जयराम ठाकुर ने संगठन में भी सक्रियता से काम किया है। सुक्खू छात्र जीवन में एनएसयूआई से जुड़े रहे। उनकी शिक्षा राजधानी शिमला के संजौली कॉलेज और प्रदेश विश्विद्यालय शिमला से हुई। संजौली कॉलेज में पहले कक्षा के डीआर और एससीए के महासचिव चुने गए। उसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में केंद्रीय छात्र परिषद (एससीए) के अध्यक्ष चुने गए।

एनएसयूआई से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तक मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां
सुक्खू की खास बात यह है कि वो कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई, युवा कांग्रेस औऱ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। सूक्खू के बारे में रोचक पहलू यह है कि वह इन तीनों पदों पर सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले राजनेता हैं। इस तरह उनके पास संगठन में काम करने का लंबा राजनीतिक अनुभव है। सुखविंदर सिंह सुक्खू वर्ष 1988 से 1995 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बने। वर्ष 1995 में युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव रहे। नगर निगम शिमला के दो बार पार्षद भी रहे। वर्ष 1998 से 2008 तक युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। वर्ष 2008 में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बने। सुखविंद्र सिंह सुक्खू जनवरी 2013 से 10 जनवरी 2019 तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने एक आक्रमक राजनीति करने वाले कांग्रेस के नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है। 10 साल तक हिमाचल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहने वाले सुक्खू को बाद में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।

पहला चुनाव
2003 में जब विधानसभा चुनाव हुए तब सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पहली बार हमीरपुर जिला की नादौन विधानसभा से चुनाव लड़ा और भाजपा के बाबूराम मण्डियाल को हरा कर विधानसभा में पहुंचे। 2007 में उन्होंने लगातार दूसरा चुनाव जीता। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के विजय अग्निहोत्री से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2017 औऱ 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने लगातार दो बार जीत हासिल की। इस विधानसभा चुनाव ने कांग्रेस हाईकमान ने सुक्खू को प्रदेश कांग्रेस प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाया। इसके अलावा वह टिकट वितरण कमेटी के भी सदस्य रहे।