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बीरभूम हिंसाः 10 साल में बहा दस लोगों का खून, बकरी को लेकर शुरू हुआ था झगड़ा

बीरभूम में हुई हिंसा के बाद बड़ी संख्या में लोग रामपुरहाट कस्बा छोड़कर पलायन कर गए हैं। हिंसा के बाद तनाव का माहौल है और सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या के बाद हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद कई घरों में आग लगा दी गई जिसमें जलकर 8 लोगों की मौत हो गई है। अब यह कस्बा एक तरह से ‘भुतहे गांव’ में तब्दील हो गया है।

गांव के पश्चिम में रहने वाले कालू शेख ने कहा, मरने वालों में सभी महिलाएं थीं और कम से कम दो बच्चे थे। सोमवार को रात 10 बजे के आसपास गांव में तबाही मची। इसके बाद बुधवार को 23 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। बता दें कि बारशल पंचायत के तहत पांच गांव आते हैं। इन गांवों में पिछले 10 सालों में हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

शेख ने बताया कि फतीक शेख के घर से सात शव निकाले गए।  शेख के घर के पीछ कुछ मुर्गियां दाना चुगती नजर आती हैं। घर के सामने एक बछड़ा बंधा हुआ है लेकिन आसपास के घरों में ताला लगा हुआ है। कुछ लोग यह भी कह रहे थे कि फातिक शेख का शव धान के खेतों से मिला हालांकि पुलिस ने कहा कि यह कोरी अफवाह है।

गांव की सड़क के किनारे संजू शेख का घर है। आगजनी की घठना के बाद संजू शेख के घर से भी तीन लोगों को घायल  हालत में निकाला था। इनमें से एक की अस्पताल में मौत हो गई। बुधवार तक पुलिस ने पीड़ितों की पहचान उजागर नहीं की थी।

पश्चिमपाड़ा की रहने वाली काजल शेख ने कहा, ‘आपको आश्चर्य हो सकता है लेकिन भादू शेख, फातिक शेख और संजू शेख के परिवार के बीच 10 साल पहले दुश्मनी शुरू हुई थी। खेत में बकरी चरने के मामले में एक बार उनके बीच झगड़ा हो गया था। इन 10 सालों में करीब 10 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल जनवरी में भादू के बड़े भाई बाबर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।’

काजल शेख ने कहा, झगड़े का मेन मुद्दा यह है कि संजू शेख और फातिक शेख बोगतुई के रहने वाले नहीं हैं। वे मोरग्राम गांव के रहने वाले थे जो कि रामपुरहाट से 50 किलोमीटर की दूरी  पर हैं। एक स्थानीय महिला से शादी करने के बाद वे यहीं रहने लगे थे। संजू के पिता सोना शेख 22 साल पहले यहां आए थे। इसके बाद एक-एक करके उनका परिवार यहीं बसने लगा।