बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी विधायकों की पिटाई मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला किया है. राहुल गांधी ने कहा कि मुख्यमंत्री पूरी तरह आरएसएस बीजेपीमय हो चुके हैं.
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि बिहार विधानसभा की शर्मनाक घटना से साफ़ है कि मुख्यमंत्री पूरी तरह आरएसएस भाजपामय हो चुके हैं. लोकतंत्र का चीरहरण करने वालों को सरकार कहलाने का कोई अधिकार नहीं है. विपक्ष फिर भी जनहित में आवाज़ उठाता रहेगा- हम नहीं डरते.
राहुल गांधी के ट्वीट के बाद कांग्रेस के अन्य नेता भी भाजपा और आरएसएस पर हमलावर हो गये हैं. कांग्रस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने लिखा है कि अव्वल तो आरएसएस की कोई मौलिक सोच है ही नहीं, और जो थोड़ी बहुत हल्की सोच है भी, तो उसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति निष्ठा का स्थान नहीं है.
इधर, राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी शायराना अंदाज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया. उन्होंने लिखा है कि तेरी तानाशाही और तेरे अत्याचार का हिसाब करेगा, आंदोलन में बहा लहू का एक एक कतरा इंसाफ़ करेगा. युवाओं की जवानी बर्बाद करने वाले, वक्त तेरा भी गणित ठीक करेगा. बेरोजगारों पर लाठियाँ चलाने वाले निर्दयी, समय युवाओं का भी आएगा.
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक-2021 के विरोध में हुआ था हंगामा
मंगलवार को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक-2021 के विरोध में जबरदस्त हंगामा हुआ. करीब छह घंटे तक विपक्ष का हंगामा चलता रहा. विपक्ष के विधायकों ने कई घंटे तक विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को उनके चैंबर से बाहर नहीं निकलने दिया. काफी जद्दोजहद के बाद देर शाम बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक-2021 पारित हो पाया.
विधेयक के पेश करने और पारित होने के दौरान पांच बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. विधानसभा के इतिहास में संभवत: पहली बार पुलिस को सदन के अंदर जाना पड़ा. आसन को घेरे विपक्षी विधायकों को बलपूर्वक हटाया गया, तब जाकर आसन पर विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा बैठ पाये.
इसके पहले विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के बाहर राजद, कांग्रेस, माले, भाकपा और माकपा के विधायकों ने धरना दिया. नारेबाजी की और उन्हें सदन में नहीं जाने दिया. करीब आधे घंटे से अधिक समय तक सदन की घंटी बजती रही, इस दौरान स्पीकर को आसन तक पहुंचाने की मार्शलों ने हरसंभव कोशिश की, लेकिन विपक्ष के कड़े तेवर से वे कामयाब नहीं हो पाये.
अंत में विधानसभा सचिवालय को पुलिस बुलानी पड़ी. साढ़े चार बजे के बाद डीएम चंद्रशेखर सिंह और एसएसपी उपेंद्र सिंह विधानसभा परिसर पहुंचे. उन्होंने भी धरना पर बैठे विपक्षी विधायकों को समझाने की कोशिश की और स्पीकर को सदन में जाने देने का अनुरोध किया, पर अपनी जिद पर अड़े विपक्षी सदस्यों ने उनकी एक नहीं सुनी.
आसन से विधेयक की कॉपी छीन फाड़ दी
धरना दे रहे करीब दर्जन भर विधायकों को मार्शल आउट करना पड़ा. उन्हें बलपूर्वक विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के बाहर से हटाया गया. पुलिस की सख्ती के बाद विपक्ष के सदस्य सदन के अंदर चले गये और अासन को दोनों ओर से घेर लिया. विधेयक को लेकर विपक्ष इतना आक्रामक बना हुआ था कि आसन पर से विधेयक की कॉपी को छीनकर फाड़ा गया.
विपक्ष की महिला विधायकों ने आसन के पास जाकर अध्यक्ष को आने से रोकने की कोशिश की. विधानसभा अध्यक्ष के दो बार कार्यवाही स्थगित करने के बाद जब अध्यासी सदस्य के रूप में भाजपा के डॉ प्रेम कुमार ने आसन पर विधेयक पेश करने की कोशिश की, तो उनसे प्रोसिडिंग की कॉपी छीन ली गयी.