कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में शामिल रहने व कुख्यात विकास दुबे को वारदात के बाद पनाह देने के आरोपी की जमानत खारिज हो गयी। बिकरू कांड मामले की सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट में हो रही है। बचाव पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए सहायक शासकीय अधिवक्ता ने आरोपी के जघन्य अपराध में शामिल होने का पक्ष रखा। सहायक शासकीय अधिवक्ता आशीष तिवारी ने बताया कि दो जुलाई 2020 को चैबेपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम पर हमला किया गया था। कुख्यात गैंग के हमले में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गये थे। पुलिस की जांच और तफ्तीश में सामने आया था कि घटना के बाद विकास दुबे ने रसूलाबाद के तुलसीनगर में रामजी उर्फ राधे कश्यप के यहां पनाह ली थी। कोर्ट को बताया गया कि जब पूरे प्रदेश की पुलिस इस अपराधी को खोज रही थी तो यहीं पर उसे पनाह मिली थी।
पुलिस ने रामजी को भी घटना में शामिल होने का आरोपी बनाया है। एसटीएफ ने उसके पास से 12 बोर की एक बंदूक, 25 कारतूस, 7.62 एमएम के 20 कारतूस व एके 47 के दो कारतूस बरामद किए थे। ज्ञात हो कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आरोपी की जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। मामले में शुक्रवार को हुई बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपी की गिरफ्तारी भीड़भाड़ वाले स्थान से हुई है। साथ ही पुलिस ने कोई सार्वजनिक गवाह भी नहीं बनाया है।
उन्होंने आरोपी का कोई पुराना आपराधिक इतिहास न होने की भी दलील दी। इस पर सहायक शासकीय अधिवक्ता आशीष तिवारी ने विरोध करते हुए कहा कि गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने स्वयं स्वीकार किया था कि विकास दुबे ने उसके घर में पनाह ली थी। आरोपी का यह स्वीकार करना ही पर्याप्त है। पुलिस के लूटे हुए असलहे व कारतूस घर में रखने की बात भी स्वीकारी थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी का जमानती प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। एडीजीसी ने बताया कि बिकरू कांड के आरोपी रामजी उर्फ राधे की जमानत खारिज कर दी गई है।