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बांग्लादेशी उम्‍मीदवार ने लड़ा था TMC के लिए चुनाव, जानिए आलो रानी का सच

पश्चिम बंगाल में 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की उम्‍मीदवार को लेकर अब नया खुलासा हुआ जिसमें बताया गया है कि उनके लिए एक बांग्‍लादेशी उम्‍मीदवार (Bangladeshi candidate) ने चुनाव लड़ा था।
बता दें कि टीएमसी नेता आलो रानी वास्तव में एक बांग्लादेशी नागरिक थी। आलो रानी ने 2021 में दक्षिण बोंगांव निर्वाचन क्षेत्र के लिए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ा था और भाजपा के स्वपन मजूमदार को विजयी घोषित करने वाले परिणाम का विरोध करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसी मामले में अब कलकत्ता हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता आलो रानी सरकार द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है।

बांग्लादेशी महिला आलो रानी सरकार को टिकट दिया था, उसके बारे में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब सामने आया है कि आलो रानी का नाम भारत की मतदाता सूची में होने के साथ ही साथ बांग्लादेश की मतदाता सूची में शामिल है। उन्होंने 2012 में भारत की मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वाया था, इसके बाद वह बांग्लादेश में रहने लगीं और वहां की भी मतदाता बन गईं।

बता दें कि आलो रानी ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। वह भाजपा प्रत्याशी स्वपन मजूमदार के खिलाफ खड़ी हुई थीं। चुनाव में हार के बाद उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी की सुनवाई के दौरान उनकी नागरिकता का खुलासा हुआ और सामने आया कि आलो रानी बांग्लादेशी नागरिक हैं।आलो रानी के अनुसार, उनका जन्म भारत के हुगली में 1969 में हुआ था। उन्होंने शादी के बाद अपनी भारतीय नागरिकता नहीं छोड़ी और बताया कि वह पति के साथ भी नहीं रहती हैं। उन्होंने बताया कि पहचान पत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड के साथ उनके नाम पर भारत में जमीनें भी हैं। हालांकि, जांच में सामने आया कि उनके पिता समर हलदर बांग्लादेश के नचराबाद के रहने वाले थे। वे यहीं जन्मीं, हुगली में जन्म का दावा झूठा है। 2012 में भारतीय मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के बाद वह अपने पति के साथ रहने लगीं।

हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा, पासपोर्ट, आधार, मतदाता पहचान, पैन कार्ड नागरिकता के साक्ष्य नहीं हैं। उनके पास बांग्लादेश का मतदाता पहचान पत्र है और बांग्लादेशी नागरिक से शादी उन्हें वहां का नागरिक साबित करने के लिए काफी है। आज भी यह साफ नहीं है कि बांग्लादेश मतदाता सूची से उनका नाम हटा या नहीं। उनकी मां और भाई आज भी बांग्लादेश में रहते हैं। दोहरी नागरिकता भारत में लागू नहीं है, लिहाजा उन्हें भारतीय नागरिक नहीं माना जा सकता है।