उत्तर प्रदेश में चार बार सत्ता में रहने वाली बहुजन समाज पार्टी इन दिनों संघर्षों का सामना कर रही है। विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पर सिमटी बसपा ने अब अपने संगठन में बदलाव किया है। पार्टी अति पिछड़े समाज से आने वाले विश्वनाथ पाल को प्रदेश की बागडोर सौंपकर राज्य में कुछ नया करने की रणनीति बनाने में जुटी है। विश्वनाथ पाल का मानना है कि उनके अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में नया उत्साह आया है। नौजवान तेजी के साथ बसपा से जुड़ रहा है।
आईएएनएस से एक विशेष वार्ता में विश्वनाथ पाल ने कहा कि जब कार्यकर्ताओं में उत्साह आ जाता है, तो पार्टी अपने आप मजबूत हो जाती है। यह पूछने पर कि उत्तर प्रदेश में युवाओं की संख्या बहुत है, बसपा इन्हें जोड़ने के लिए क्या कर रही है, पाल ने कहा कि बसपा सुप्रीमो मायावती के निर्देश पर पार्टी की हर कमेटी में 50 फीसद युवा रखे जा रहे हैं। बूथ से लेकर सेक्टर तक हर कमेटी में इस बात का ख्याल रखा जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि इससे नौजवान बड़ी संख्या में बसपा से जुड़ रहे हैं।
बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन उन्हें धोखा मिला है। वहीं बसपा की सरकार में नौजवानों को काफी नौकरियों दी गई थीं। आज कल नौकरी नहीं है। संविदा और एनजीओ के माध्यम से नौजवानों को नौकरी देकर जगह भरी जा रही है। निजी रोजगार में आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में आरक्षण और बिना आरक्षण वाले युवाओं को विश्वास है कि बहन जी आयेंगी, तो उन्हें नौकरी मिल सकती है।
लोकसभा चुनाव में बसपा की सत्ताधारी दल से लड़ने की क्या रणनीति होगी, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बसपा ने यूपी में कई बार अपने दम पर हुकूमत की है। हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया गया था। अब उनका हौसला एक बार फिर बढ़ा है। ऐसे में अब हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। कार्यकर्ताओं के उत्साह से हमें सफलता अवश्य मिलेगी। चुनाव को लेकर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद के सवाल पर बसपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बहन मायावती ने अपने जन्मदिन के अवसर पर निर्णय लिया कि हमारी पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। आगे भी इसका निर्णय बहन जी ही लेंगी। हम लोग दलों के गठबंधन के चक्कर में नहीं हैं, लेकिन समाज के सभी वर्गों को जोड़कर बसपा चुनाव जीतने का प्रयास करेगी।
बीते कई चुनाव में बसपा का परफॉर्मेंस खराब हुआ, पार्टी का वोटर सपा और भाजपा में मिल गया, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह एक प्रकार का दुष्प्रचार है। 90 हजार, 70 और 50 हजार से कम वोट हमें कहीं नहीं मिले हैं। बसपा की सरकार के समय फैजाबाद मंडल में भाजपा उम्मीदवार को 2000 व 1200 वोट मिलते थे, तो कहीं भी ऐसी चर्चा नहीं हुई कि बीजेपी खत्म हो गई है। आज जब हमें इतना वोट मिला है, तो हमारे बारे में नकारात्मक खबरें फैलायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के मिशन और कांशीराम की विचारधारा को लेकर चलने वाली बसपा ही इकलौती पार्टी है।
उतार चढ़ाव तो आ सकता है, लेकिन पार्टी कभी खत्म नहीं हो सकती है। अब बसपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह है। सर्वसमाज के लोग जुड़ रहे हैं। रामचरितमानस को लेकर मचे घमासान के सवाल पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह मुद्दा सपा और भाजपा की मिली भगत से उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह देश विभिन्न धर्मों को मानने वाला है। धर्म एक विश्वास की चीज है। किसी को भी किसी धर्म पर टिप्पणी करने अधिकार संविधान भी नहीं देता। बसपा पर भाजपा का बी टीम होने के आरोप पर उन्होंने कहा कि 2022 के चुनाव में हमारे पास 10 सांसद होने के बाद भी तीन सांसद वालों को भाजपा से लड़ाई में दिखाया गया।
इसके अलावा हम एक राष्ट्रीय दल भी है। किसने यह लड़ाई दिखाई। हमें डमी बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह बसपा के साथ साजिश है। इस तरह की अफवाह एक साजिश के तहत भाजपा और एक विपक्षी दल द्वारा फैलाई जा रही है। बसपा किसी की टीम नहीं है। पश्चिमी यूपी में एक नौजवान नेता चंद्रशेखर बसपा के लिए कहीं खतरा तो नहीं, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कुछ लोग बसपा का विकल्प बनने का प्रयास करते हैं, लेकिन सफल नहीं हो पाते। ऐसे लोग पार्टी तो बनाते हैं, वो बाबा साहब के मिशन की बात भी करते हैं, लेकिन बाद में कहीं सेट हो जाते हैं। ऐसे ही एक नेता थे उदितराज। उन्होंने अपनी पार्टी बनाई। इसके बाद भाजपा से दिल्ली में चुनाव लड़कर सांसद बने। बसपा ने लोगों को चुनाव लड़ने का अधिकार दिलाया। चंद्रशेखर और उदितराज जैसे लोग एक तरफ कांशीराम के मिशन की बात करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी को खत्म करने की साजिश भी करते हैं। ऐसे लोगो को समाज अब अच्छी तरह से समझ चुका है।