छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने एक फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना (without his permission) फोन पर उसकी बातचीत रिकॉर्ड (recording talk) करना ‘निजता के अधिकार’ का उल्लंघन (violation of his right to privacy) है। हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता (alimony) के एक मामले में महासमुंद की पारिवारिक अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें साक्ष्य के रूप में मोबाइल फोन की रिकॉर्डिंग का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।
महिला के वकील वैभव ए गोवर्धन ने बताया कि हाईकोर्ट ने कहा कि पति का अपनी पत्नी की जानकारी के बिना उसकी फोन पर बातचीत रिकॉर्ड करना उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है और याचिकाकर्ता के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त अधिकार का भी उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता (पत्नी) ने गुजारा भत्ता देने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत आवेदन दायर किया गया था, जो 2019 से परिवार न्यायालय महासमुंद के समक्ष लंबित है। याचिकाकर्ता ने इससे संबंधित साक्ष्य अदालत में पेश किए थे।
पति ने गुजारा भत्ता बंद किया था
प्रतिवादी पति ने याचिकाकर्ता के चरित्र पर संदेह के आधार पर गुजारा भत्ता देने से मना किया। उसने परिवार अदालत के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया और कहा कि पत्नी की बातचीत उसके मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड की गई है। प्रतिवादी उक्त बातचीत के आधार पर अदालत के समक्ष उससे जिरह करना चाहता है। अदालत ने उक्त आवेदन को स्वीकार कर लिया और अनुमति दे दी। याचिकाकर्ता ने 21 अक्तूबर 2021 के उक्त आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया और इसे रद्द करने की प्रार्थना की।