कांग्रेस नेता Priyanka Gandhi ने कहा है कि पार्टी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बीजेपी को छोड़कर किसी भी पार्टी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन के लिए तैयार है. हालांकि, उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बीजेपी दोनों पर एक जैसी राजनीति करने का आरोप लगाया. एएनआई के साथ एक विशेष साक्षात्कार में प्रियंका गांधी ने कहा कि पार्टी महत्वपूर्ण मुद्दों के लिए लड़ना जारी रखेगी और उत्तर प्रदेश में प्रमुख पार्टी होगी जो लोगों के मुद्दों के लिए खड़ी होगी.
प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि, “बीजेपी के लिए दरवाजा बंद है लेकिन अन्य पार्टियों के लिए खुला है. समाजवादी पार्टी और बीजेपी एक समान शैली की राजनीति कर रहे हैं क्योंकि वे उस तरह की राजनीति से लाभान्वित हो रहे हैं. हम कह रहे हैं कि आम लोगों को लाभ होना चाहिए, विकास के मुद्दों को उठाया जाना चाहिए. सांप्रदायिकता और जातिवाद के आधार पर आगे बढ़ने वाली पार्टियों का सिर्फ एक एजेंडा होता है. वे एक-दूसरे को फायदा पहुंचाते हैं.”
कौन है कांग्रेस का मुख्य प्रतिद्वंदी?
ये पूछे जाने पर कि क्या वो दोनों पार्टियों के बीच अंतर देखते हैं प्रियंका गांधी ने कहा कि बड़ा पैमाने पर नहीं. कांग्रेस महासचिव ने चुनाव में पार्टी के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंदी के बारे में एक सवाल को टाल दिया. उन्होंने कहा कि हमारी मुख्य प्रतिद्वंदी बेरोजगी, महंगाई, राज्य की स्थिति और किसानों की स्थिति है. ये हमारे मुख्य विरोधी है और हम इनके खिलाफ लड़ेंगे.
सीटों के सवाल पर क्या बोलीं प्रियंका गांधी?
एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी लड़ना जारी रखेगी और हम प्रासंगिक रहेंगे. मैं भविष्य नहीं बता सकती. सीटों की भविष्यवाणी करना अपरिपक्व होगा. हम इस तरह से प्रासंगिक होंगे. हमारी एक लड़ाई है, जिसके लिए हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. ये 2022 के चुनाव के साथ खत्म नहीं होने वाली है. हम उन मुद्दों के लिए लड़ना जारी रखेंगे जो मायने रखते हैं. हम यूपी में प्रमुख पार्टी बनने जा रहे हैं, जो लोगों के मुद्दों के लिए खड़ी है. आज यूपी में सभी विपक्षी दलों में हम ही हैं जिन्होंने पिचले दो सालों से लगातार मुद्दे उठाए.
वही एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में लड़की हूं लड़ सकती हूं अभइयान को अन्य पार्टी पार्टी शासित राज्य में भा दोहराया जाना चाहिए. इस आंदोलन में ऊर्जा है. अगर देश में 50 प्रतिशत महिलाएं हैं, तो उन्होंने हिस्सेदारी क्यों नहीं मिलनी चाहिए? उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से सात चरणों में विधानसभा चुनाव होंगे.