प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए एक खुशखबरी है। ईपीएफओ के नियमों के मुताबिक कोई भी कर्मचारी 10 साल नौकरी करने के बाद पेंशन पाने का हकदार हो जाता है। इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए केवल एक शर्त है, जिसे कर्मचारी को पूरा करना जरूरी होता है।
बता दें कि नियम के अनुसार प्राइवेट कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12% हिस्सा हर महीने PF अकाउंट में जमा होता है। इसमें से कर्मचारी का पूरा हिस्सा EPF में जाता है। वहीं नियोक्ता का 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है और हर महीने 3.67% EPF योगदान में जाता है। कर्मचारी भविष्य – निधि संस्था (EPFO) के नियमों के अनुसार 10 साल तक नौकरी करने वाला कर्मचारी पेंशन का हकदार हो जाता है। इशके लिए बस एक ही शर्त है कि जॉब का कार्यकाल 10 साल पूरा होना चाहिए। अगर किसी कर्मचारी को 9 साल 6 महीने काम करते हुए हो गए तो वो भी 10 साल के बराबर काउंट किया जाएगा। वहीं अगर 9 साल 6 महीने से कम है तो उसे 9 साल ही गिना जाएगा। ऐसे में कर्मचारी पेंशन अकाउंट में से अपनी जमा राशि रिटायरमेंट की उम्र से पहले भी निकाल सकते हैं, क्योंकि वो पेंशन के लिए हकदार नहीं है।
वहीं अब कुछ लोगों का कहना है कि किसी ने अलग-अलग जगह नौकरी करके 10 साल पूरे किए हैं या फिर नौकरी के बीच में गैप है तो क्या उसको पेंशन मिलेगी। उनको बता दें कि उनको पेंशन मिलेगी। बस उस कर्मचारी ने नौकरी के साथ UAN नंबर न बदला हो। बता दें कि अगर कोई नौकरी बदलता है और अपना UAN नंबर पुराना वाला रखता है तो उसे पेंशन वाली योजना का फायदा जरूर मिलेगी। वहीं अगर UAN नंबर बदलता है तो वहीं जीरो से शुरुआत होगी।
वहीं माना किसी कर्मचारी ने एक जगह 4 साल काम किया और किसी कारण के चलते वो नौकरी 1 या 2 साल के चलते छोड़ देता है। माना कि उसने 2 साल के लिए नौकरी छोड़ दी और दो साल बाद उसने दोबारा नौकरी की और PF अकाउंट में पुराना नंबर ही रखा तो उसमें उसके 4 साल जो काम किया है वो जुड़ जाएंगे। यानी कि दो साल का जो गैप है वो हटा दिया जाएगा। इसके बाद उस कर्मचारी को और 6 साल नौकरी करनी पड़ेगी, जिसके बाद वो पेंशन का हकदार होगा। फिर रिटायरमेंट के बाद हर महीने उस कर्मचारी को पेंशन मिल सकेगी।