पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी ने कहा है कि अफगानिस्तान में आतंक-निरोधी सहायता के लिए अमेरिका को भारत के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, अमेरिका को पाकिस्तान पर निर्भरता का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 23 सितंबर से शुरू दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के पहले यह बयान आया है। ट्रंप प्रशासन की पूर्व अधिकारी लीजा कर्टिस ने कहा है कि पाकिस्तान को अब दंड देने में देरी हो गई है। सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी थिंक टैंक में हिंद-प्रशांत सुरक्षा कार्यक्रम की निदेशक कर्टिस ने एक पत्रिका में लिखा है कि 2001 से लेकर अब तक कोई भी अमेरिकी प्रशासन अपने क्षेत्र में तालिबान के विरुद्ध अभियान चलाने को लेकर पाकिस्तान को सहमत नहीं कर पाया है।
भारत को रोकने के लिए हक्कानी नेटवर्क पर निर्भर है पाकिस्तान
लिजा कर्टिस ने पत्रिका ‘फोरेन अफेयर्स’ में लिखा कि 2001 के बाद से अमेरिका का कोई प्रशासन पाकिस्तान को अपने क्षेत्र में तालिबान की गतिविधियों को रोकने के लिए समझाने में सफल नहीं हुआ है। उन्होंने लिखा, आईएसआईएस-के जैसे अन्य आतंकी गुटों को निशाना बनाते समय वाशिंगटन के लिए इस्लामाबाद के साथ काम करना संभव हो सकता है, लेकिन पाक खुफिया एजेंसी अलकायदा से जुड़े हक्कानी नेटवर्क को कभी निशाना नहीं बनाएगी। पाक सेना और आईएसआई भारत को अफगानिस्तान में पैर जमाने से रोकने के लिए हक्कानी नेटवर्क पर निर्भर हैं।
अलकायदा व आईएस की मौजूदगी से झाड़ा पल्ला
तालिबान ने अलकायदा और आईएस के आतंकवादियों की अफगानिस्तान में मौजूदगी के आरोपों से साफ इनकार किया है। यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब आईएस ने जलालाबाद सीरियल धमाकों की जिम्मेदारी ले ली है। प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने पत्रकारों से कहा, आईएस बिना सामने आए कुछ कायराना हमले करता है। इसकी इराक और सीरिया में मौजूदगी है। लेकिन हमारे पास ऐसे संगठनों के देश में सक्रिय होने के कोई सबूत नहीं हैं। हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अफगानिस्तान से किसी भी देश को खतरा नहीं होगा।
धमाकों के बाद 40 लोग गिरफ्तार :
नंगरहार की राजधानी जलालाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों को लेकर 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अरिआना न्यूज ने नंगरहार प्रांत के खुफिया निदेशालय प्रमुख बशीर के हवाले से यह जानकारी दी है।