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पाकिस्तान: पत्रकार हामिद मीर को टीवी चैनल पर शो की एंकरिंग करने से रोका गया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर को सेना और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने और सवाल पूछने के कारण न्यूज पढ़ने से रोक दिया गया है। पाकिस्तान के जिओ न्यूज के लिए काम करने वाले पत्रकार हामिद मीर इन दिनों एक दूसरे पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ जमकर आवाज उठा रहे थे। कुछ दिनों पहले उन्होंने एक रैली का भी नेतृत्व किया था जिसमें उन्होंने इमरान खान सरकार और सेना के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी।


पत्रकार हामिद मीर को सोमवार को एक निजी टीवी चैनल ने अपने लोकप्रिय टॉक शो की एंकरिंग करने से रोक दिया। उन्होंने एक साथी पत्रकार पर हमले के मद्देनजर देश के शक्तिशाली ‘प्रतिष्ठान’ की आलोचना की थी। मीर ने शुक्रवार को इस्लामाबाद में पत्रकार असद तूर पर तीन ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के हमले के खिलाफ पत्रकारों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन में एक उग्र भाषण दिया था। उन्होंने हमले में जवाबदेही तय करने की मांग की थी।

मीर ‘जिओ टीवी’ पर प्राइम टाइम ‘कैपिटल टॉक’ शो की मेजबानी करते हैं। मीर को टीवी नेटवर्क द्वारा छुट्टी पर भेज दिया गया जिसका दावा है कि वह अभी समाचार चैनल का हिस्सा हैं।

हामिद मीर के परिवार को दी जा रही धमकी

हामिद मीर ने इस प्रतिबंध के बाद कहा कि मेरी हत्या करने का भी प्रयास किया गया था, लेकिन मैं बच गया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘मेरे लिए कुछ भी नया नहीं है। मुझे पहले भी दो बार प्रतिबंधित किया गया था। दो बार नौकरी खोई। मैं संविधान में दिए गए अधिकारों के लिए आवाज उठाना बंद नहीं कर सकता। इस बार मैं किसी भी परिणाम के लिए तैयार हूं और किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हूं। क्योंकि वे मेरे परिवार को धमकी दे रहे हैं।’

पाकिस्तान में हामिद के समर्थन में उठी आवाज

हामिद मीर के कार्यक्रम पर लगे प्रतिबंधों के खिलाफ पाकिस्तान के कई पत्रकारों ने आवाज उठाई है। पाकिस्तानी सोशल मीडिया में हामिद मीर टॉप ट्रेंड में बने हुए हैं। एक टीवी टॉक शो की होस्ट अस्मा शेराजी ने कहा कि जिओ चैनल प्रबंधन को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। कई दूसरे पत्रकारों ने भी इस फैसले के खिलाफ बयान दिया है। इस संबंध में सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन पत्रकार संगठनों और अन्य लोगों ने इस कदम की आलोचना की है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी इस कदम की निंदा की है।