जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान की तरफदारी कर भारत के निशाने पर आए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के अध्यक्ष वोल्कन बोज्किर की तरफ से सफाई आई है. कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में मजबूती से उठाने की पाकिस्तान को सलाह देने वाले वोल्कन बोज्किर के बयान पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की थी. इसके बाद यूएन की तरफ से स्पष्टीकरण आया है. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने कहा है, ‘अफसोसजनक’ है कि वोल्कन बोज्किर के बयान को संदर्भ से हटकर देखा गया.
असल में, पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बोज्किर के जम्मू-कश्मीर पर दिए गए बयान को भारत ने गुमराह करने वाला और पूर्वाग्रह से ग्रस्त करार दिया था. इसके कुछ दिन बाद संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यीय इस निकाय के प्रमुख की प्रवक्ता ने सफाई दी है. वोल्कन बोज्किर पिछले महीने के आखिर में बांग्लादेश और पाकिस्तान की यात्रा पर थे. इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कश्मीर के मसले को जोर-शोर से उठाने की हिमायत की थी. वोल्कन बोज्किर ने कहा था कि पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर मजबूती से उठाना चाहिए. यह पाकिस्तान का दायित्व है.
वोल्कन बोज्किर ने 27 मई 2021 को कहा था कि पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर विवाद के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर और अधिक मजबूती के साथ उठाना चाहिए. उन्होंने कश्मीर मुद्दे की फिलिस्तीन से भी तुलना की और कहा कि फिलिस्तीन मुद्दे की तुलना में कश्मीर विवाद के समाधान के लिए बड़ी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी. वोल्कन बोजकिर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान का विशेष रूप से कर्तव्य है कि वह संयुक्त राष्ट्र के मंच पर इसे (मुद्दे) और अधिक मजबूती से लाए. मैंने हमेशा सभी पक्षों से जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलने से परहेज करने का आग्रह किया है. पाकिस्तान और भारत के बीच संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों के तहत शिमला समझौते में सहमति के अनुसार शांतिपूर्ण तरीकों से समाधान निकाला जाना चाहिए था.’
इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़े लहजे में प्रतिक्रिया जाहिर की थी. भारत ने कहा था कि वोल्कन बोज्किर का बयान अस्वीकार्य है और भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का उनके द्वारा जिक्र करना अवांछनीय है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पिछले सप्ताह कहा था, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा का कोई वर्तमान अध्यक्ष गुमराह करने वाला और पूर्वाग्रह से ग्रस्त बयान देते हैं तो वह अपने पद को बड़ा नुकसान पहुंचाते हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष का आचरण वाकई खेदजनक है और वैश्विक पर उनके दर्जे को घटाता है.
भारत की प्रतिक्रिया पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महासभा के अध्यक्ष की उप प्रवक्ता एमी कांत्रिल ने कहा कि पाकिस्तान की अपनी यात्रा के दौरान वोल्कन बोज्किर ने कहा था कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि पाकिस्तान एवं भारत के बीच संबंधों के सामान्य बनने पर टिकी है. जम्मू-कश्मीर मुद्दे के समाधान से ही रिश्ते सामान्य होंगे. एमी कांत्रिल ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यक्ष ने 1972 के भारत-पाकिस्तान शिमला समझौते को भी याद किया था. कांत्रिल ने कहा कि अध्यक्ष भारत के विदेश मंत्रालय के बयान से आहत हैं और खेद की बात है कि उनका बयान संदर्भ से हटकर देखा गया. एमी कांत्रिल ने कहा, “महासभा के अध्यक्ष बातचीत और कूटनीति का समर्थन करते हैं.
वह पाकिस्तान और भारत दोनों को जम्मू-कश्मीर मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.” असल में, अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्ज खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के नई दिल्ली के फैसले के बाद पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के लिए हाथपैर मार रहा है. पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर भारत विरोधी अभियान तेज कर दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के आमंत्रण पर इस्लामाबाद पहुंचे वोल्कन बोज्किर के बयान को इसी नजरिये से देखा गया. हालांकि भारत पाकिस्तान से दो टूक कह चुका है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में इस्लामाबाद के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है. भारत ने कहा है कि आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है.