कहते हैं मजबूरी इंसान से क्या नहीं करा सकती. एक मजबूर इंसान अपने आप सबको बेच देता है. जब परिवार पर आती है तो आदमी अच्छे बुरे के बारे में कुछ नहीं सोचता और जो काम उसके परिवार के पेट पालने के लिए सही होता है वह उसे कर जाता है.
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे होने के बाद वहां के लोगों में काफी खौफ का माहौल है. आपको बता दें कि अफगानिस्तान में भुखमरी जैसे हालात हो गए हैं. लोगों की नौकरियां चली गई है, हर तरफ बस गोलिया ही गोलियों की आवाज सुनाई दे रही है. ऐसे में लोग काफी मजबूर और लाचार हो गए.
इस खौफ के माहौल में हम आपको एक आदमी की दर्द भरी कहानी बताने जा रहे हैं. एक अफगानी नागरिक जिसे अपने परिवार के पेट पालने के लिए मजबूरी में अपनी बेटी को बेचना पड़ रहा है. उस आदमी के लिए आसान तो नहीं है लेकिन पेट की भूख जो न कराए.मीर नजीर नाम का यह व्यक्ति अफगानिस्तान पुलिस में कर्मचारी था। जब से अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ है तब से उसकी नौकरी चली गई। पास में जो पैसा बचा कर रखा था वह भी अब खत्म हो चुका है। नाजिर के परिवार में करीब 7 लोग हैं। सात लोगों का पेट पालने के लिए नाजिर के पास अब बिल्कुल भी पैसे नहीं है।
इस मुश्किल हालात में नजीर एक बेहद मुश्किल फैसला लिया है,वह अपनी 4 साल की बेटी सफिया को बेचने का फैसला लिया है. नाजिर ने बताया कि वह काम की तलाश में दर-दर भटक रहा था उसी समय उसकी बात एक दुकानदार से हुई. दुकानदार ने उससे कहा कि उसके कोई औलाद नहीं है इसलिए वह एक बच्ची को खरीदना चाहता है. जिसे वह अपने बच्चे के जैसा प्यार देगा.
दुकानदार ने कहा कि वह 4 साल की बेटी के बदले में नाजिर को 20,000 अफ़गानिस यानी करीब 17000 देगा। परंतु नाजिर ने उससे 50000 अफगानीस यानी कुल 43000 की मांग की है। हालांकि अभी नाजिर की उस दुकानदार से बातचीत चल रही है। नजीर ने बहुत सोचने के बाद अपनी बेटी को बेचने का फैसला तो लिया लेकिन उसे 1 मिनट ऐसा लगा कि वह आत्महत्या कर ले. लेकिन फिर वह यह सोच कर रुक गया कि उसके बाद उसके परिवार का देखभाल कौन करेगा.
नजीर ने बताया कि जब उसके पास पैसे हो जाएंगे तब वह अपनी बेटी को वापस लेकर आ जाएगा. नजीर ने बताया कि वह दुकानदार को उसके पैसे वापस कर देगा जिसके बाद उसकी बेटी सफिया उसके पास होगी. यह कहानी हमें बताता है कि तालिबान के आने से अफगानिस्तान में लोग कितने मजबूर और लाचार हो गए हैं.